भले ही प्रदेश सरकार निचले तबके के परिवार के बच्चों को बेहतर व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए लाखों करोडों रूपये प्रति वर्ष खर्च करती हो, लेकिन सच्चाई तो यह है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते सरकार के सपनों को चकनाचूर किया जा रहा है। बताते चलें कि समाज कल्याण विभाग द्वारा गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए जिले में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित किये गये हैं, जिसमें प्री प्राइमरी से लेकर इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा के लिए सरकार ने बेहतर सुविधाएं दी है, जिसमें बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, डेªस, भोजन, मेडिकल सुविधा व रहने की व्यवस्थाओ के लिए प्रति वर्ष करोडों रूपये व्यय किया जाता है जिससे उन गरीब परिवार के बच्चे कल का इस देश का भविष्य बने जिनके परिवार के पास बच्चो को पढाने के लिए पैसे नहीं है बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो, यही प्रदेश सरकार की मंशा है, परन्तु अफसोस की बात यह है कि महीनों भर बीतने को हो रहे हैं सिर्फ पांच अध्यापकों के भरोसे यह राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय चलाये जा रहे हैं। कहने को तो इन दोनों विद्यालयों में लगभग 20 से 25 संविदा अध्यापकों की नियुक्ति की गयी है परन्तु इस नये सत्र में नियमानुसार संविदा अध्यापकों के नवीनीकरण न होने के कारण संविदा अध्यापकों को बच्चों को शिक्षा देने से विभागीय अधिकारी वंचित किये हुये हैं, जिससे गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार मय तो दिखायी ही पड रहा है वहीं पर विभागीय अधिकारियों की नकारात्मक कार्यशैली से नकारा भी नहीं जा सकता। अंधकार में पडे बच्चों के भविष्य के मामले में विभागीय अधिकारियों ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की। संविदा अध्यापक अपने नवीनीकरण के लिए समाज कल्याण अधिकारी के आॅफिस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन इन साहब का कहना है कि हम सिस्टम से बंधे हुये हैं हम कोई कार्य बिना उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार नहीं कर सकते, लेकिन साहब को कौन बताये कि आप इस जिले के समाज कल्याण अधिकारी हैं। आप के विभाग द्वारा संचालित इस आश्रम पद्धति विद्यालयों में पढने वाले बच्चों की शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इस बात से नकारा नहीं जा सकता, न तो आज तक समाज कल्याण अधिकारी द्वार अपने उच्चाधिकारियों को लिखित सूचना देकर इस बात से अवगत कराया गया कि बच्चों की शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है जिसके चलते संविदा अध्यापकों का नवीनीकरण तत्काल होना चाहिए। इन्हीं सब कारणों से जहां दोनों विद्यालयों में हजारों छात्र पढते थे आज वहीं 100 की भी संख्या में गिनना मुश्किल हो गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि विद्यालय में अध्यापकों की कमी के साथ-साथ और भी कई तरह की कमियां हैं, जिसके कारण विद्यालय का सत्र शुरू होने के बाद भी पिछले सत्र की अपेक्षा इस सत्र में आधे की संख्या में छात्र नहीं हैं।
इनसेट-
क्या कहते हैं कार्यवाहक अधीक्षक
जब इस सम्बन्ध में कार्यवाहक अधीक्षक (हसनपुर) से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि 1 अगस्त से शुरू होता है शिक्षा का सत्र।
क्या कहते हैं ज्वाइन डायरेक्टर
इस बाबत जब ज्वाइन डायरेक्टर जे. राम से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि शिक्षा का सत्र एक जुलाई से ही प्रारम्भ हो जाता है और जब संविदा अध्यापकों के नवीनीकरण किये जाने के लिए बात की गयी तो अपना पल्ला झाडते हुये कहा कि दो दिन के अन्दर डिप्टी डायरेक्टर फैजाबाद के द्वारा इस मामले का निस्तारण किया जायेगा, और संविदा अध्यापकों का नवीनीकरण एक जुलाई से ही मान्य होगा। नवीनीकरण की सूचना समस्त समाज कल्याण अधिकारियों को भेज दी गयी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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