समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कांग्रेस राज में मंहगाई, भ्रष्टाचार, गरीबी और भुखमरी बेलगाम हुई है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अंतर्राष्ट्रीय मानकों में हम पिछड़ते जा रहे हैं। इस सबसे ध्यान बंटाने के लिए नए-नए शिगूफे छेड़ना कांग्रेस की फितरत हैं। केन्द्रीय योजना आयोग ने कांग्रेस के इशारे पर गरीबी हटाओ योजना को गरीब मिटाओ योजना में बदलने का बीड़ा उठा लिया है। उसके मुताबिक गंावों में 27Û2 रूपए रोज और शहर में 33Û3 रूपए रोज कमाने वाले गरीब नहीं माने जाएगें। इस मानक से 2009-10 में जहां देश में 40Û7 करोड़ गरीब थे वे 2011-12 में घटकर 26Û9 करोड़ ही रह गए है।
गरीबी घटने और अमीरी बढ़ने का येाजना आयेाग का यह नायाब कमाल ही माना जाएगा कि वह हर साल में औसतन दो करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाल रहा है जबकि अंतर्राष्ट्रीय आंकड़ों में 1981 में जहां दुनिया के 22 प्रतिशत गरीब भारत में थे वहीं अब उनकी तादाद बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई है। स्पष्ट है कि कांग्रेस की केन्द्र सरकार चुनाव से पहले जनता से छल करने पर उतारू है।
वैसे योजना आयोग के भव्य शीतल कक्षों में बैठने वालों की बाजीगरी से भी बड़े बाजीगर राजबब्बर और रशीद मसूद जैसे कांग्रेस नेता हैं जिनका दावा है कि मुम्बई में 12 रूपए में और दिल्ली में 5 रूपए में भरपेट भोजन मिल जाता है। यह गरीबों के साथ शर्मनाक मजाक है। आज जो मंहगाई की स्थिति है उसमें योजना आयोग के मानक से गरीब का एक वक्त भी पेट भरना मुश्किल ही नहीं, पूर्णतया असम्भव है। बाजार में चावल, दाल आटे का भाव तो छोडि़ए गरीबों का भोजन कहे जाने वाला आलू, प्याज, धनिया-मिर्च तक के भाव आसमान छूने लगे है बढती मंहगाई के साथ भ्रष्टाचार से त्रस्त लोगों की जिन्दगी दिन पर दिन दूभर होती जा रही है।
अब यह बात साफ है कि प्रधानमंत्री पद पर भले एक अर्थशास्त्री हो, देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर गिरावट आई है। रूपये का बुरी तरह अवमूल्यन हुआ है। वर्ष 1973 में एक डालर 8 रूपए के बराबर था जो 2013 में बढ़कर 60 रूपए के बराबर हो गया है। विकास दर में भी गिरावट का रूख है। आर्थिक मंदी की मार से बेकारी बढ़ने और मंहगाई से व्यक्ति की क्रयशक्ति बुरी तरह प्रभावित होती है, इससे गरीबी बढ़ना ही है, इस जमीनी वास्तविकता से मंुह मोड़ने से किसी को लाभ नहीं होनेवाला है।
कांग्रेस की केन्द्र सरकार के गरीबी संबंधी ताजा आंकड़ो ने यह भी जाहिर कर दिया है कि गांव गरीब - किसान से उसका कुछ लेना देना नहीं है। वह पूंजीघरानों के स्वार्थो की पोषक सरकार है। चुनाव से पहले गरीबों की संख्या घटाकर वह विकास और समृद्धि का झूठादावा करने की तैयारी में है लेकिन इस छल छद्म और कपट से जनता को छला नहीं जा सकेगा। जनता को भरमाने की कोशिश करनेवाले स्वयं भ्रम में है और जनता उनको माफ नहीं करेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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