- लार्वा भक्षी मछली पालकर क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरिंकस (मच्छर) की करें रोकथाम
- मुख्यालय के अधिकारी भी समस्याग्रस्त क्षेत्रों में जायंे-पशुधन मंत्री
लखनऊ, दिनांक 25 जुलाई, 2013
प्रदेश के पशुधन एवं लघु सिंचाई मंत्री श्री राज किशोर सिंह ने मानसून के दौरान होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग के अधिकारियों को विशेष सावधानियाँ बरतने के लिए लोगों को जागरुक करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के 20 जिलों मंे सूकर विकास को प्रतिबन्धित कर दिया गया है, जिससे इन जनपदों में जापानी इन्सेफंलाइटिस बीमारी को होने से रोका जा सके।
श्री सिंह ने आज यहां विभागीय बैठक में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के सूकर पालकों को जापानी इन्सेफेलाइटिस बीमारी की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया गया है और उन्हें सलाह दी गयी है कि वे सूकर बाड़ों की नियमित साफ-सफाई रखें। बाड़ों के पास पानी का जल-भराव न होने दें। सूकर मलमूत्र को इकट्ठा न होने दें। सूकर बाड़ों की खिड़कियों में मच्छर जाली का प्रयोग करें तथा नाली के किनारे चूना भी डालें।
पशुधन मंत्री ने इस बीमारी के वाहक क्यूलेक्स मच्छर की रोकथाम के लिए मत्स्य विभाग के अधिकारियों को लार्वा भक्षी मछली (गप्पीज) को तालाबों में पालने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह विषाणु जनित बीमारी-सुअर, बतख, चमगादड़ के माध्यम से क्यूलेक्स मच्छर द्वारा मनुष्य में फैलती है तो वह जानलेवा साबित होगी। उन्हांेने लोगों से अपील की है कि मानसून के दौरान वे गहरे ट्यूबवेल का पानी पियें, जिससे ए0ई0एस0 (।बनजम म्दबमचींसपजपे ेलदकतवउम) से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि यह बीमारी मुख्य रूप से जुलाई से अगस्त महीने के दौरान पूर्वांचल में पनपती है। अतः इन महीनों में साफ-सफाई के साथ विशेष सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता है।
विभागीय मंत्री ने मुख्यालय के अधिकारियों को भी समस्याग्रस्त इलाकों में जाकर जापानी इन्सेफलाइटिस बीमारी को होने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिये हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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