समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती की उलटबांसियां इन दिनों जनता का खूब मनोरंजन कर रही है। अपने कार्यकाल में वे कभी दलित गरीबों से तो क्या बसपा के मंत्री विधायकों तक से नहीं मिलीं। आज वे अपने कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाने का उपदेश दे रही हैं। कांग्रेस और भाजपा पर धन्नासेठों के साथ होने का आरोप मढ़ रही है जबकि सब जानते है कि वे विधान सभा और लोकसभा के टिकट बेचती हैं। समाजवादी पार्टी के प्रति उनका वैरभाव विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवाने के बाद और ज्यादा बढ़ गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री की भाजपा और कांग्रेस से शिकायत है कि उनसे गरीबों दलितों का भला नहीं हुआ। लेकिन इसमें वे अपनी साझीदारी से कैसे इंकार कर सकती हैं जबकि वे इन्हीं के सहारे सत्ता सुख उठाती रही हैं। भाजपा के साथ उनका भाई-बहन का रिश्ता कई बार चला। कांग्रेस तो बराबर उनके पिछले पांच साल के भ्रष्टाचार, अराजकता और लूट पर चुप्पी साधकर संरक्षण देती रही। केन्द्र सरकार ने गरीबों का भला करनेवाली योजनाओं के मद में जो धन दिया उसे बसपा ने घोटाला कर हजम कर लिया।
समाजवादी पार्टी सरकार के राज में कानून व्यवस्था का रोना तो वे अपनी सरकार गंवाने के पहले दिन से ही रो रही हैं। कई बार तो वे अपने समय के अपराधिक रिकार्ड ही ज्यों का त्येां पढ़ जाती हैं। बसपाराज में आधा दर्जन मंत्री, विधायक वसूली, लूट और बलात्कार के आरोपों में जेल में बंद हुए थे। आज भी उनका यह चरित्र बदला नहीं है। मेरठ जनपद में बसपा नेता पर अपने साथियों के साथ मिलकर बारहवीं क्लास की छात्रा से गैंगरेप का मामला सामने आया है। मायाराज में शीलू काण्ड हुआ जिसमें 17 वर्षीया किशोरी के साथ बसपा विधायक ने बलात्कार किया था, निघासन थाने में एक बच्ची को बलात्कार के बाद फांसी पर लटका दिया गया। वर्ष 2007, से 2011 तक बसपाराज में प्रतिदिन औसत 4 से 5 बलात्कार की घटनाएं हुई थीं। सच तो यह है कि बसपा गुण्डों अपराधियों और लुटेरों की जमात है। इन तथ्यों की जानकारी के बाद वे किस हैसियत से समाजवादी पार्टी के राज में कानून व्यवस्था पर उंगली उठा रही है?
प्रदेश का बच्चा-बच्चा यह जानता है कि बसपाराज में प्रदेश विकास के मामले में बुरी तरह पिछड़ गया था। बिजली-पानी-सड़क के काम ठप्प रहे। पत्थरों पर सरकारी धन लुटाया जाता रहा। गरीबों के घर उजाड़ कर धन्ना सेठों को सस्ती जमीनें दी गई। खुद मुख्यमंत्री ने हर निर्माण कार्य से मोटा कमीशन वसूलने में संकोच नहीं किया। किसान, कर्मचारी, व्यापारी, वकील सब उत्पीड़न के शिकार रहे। समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को पंचायती चुनावों में भाग लेने से जबरन रोका गया और उन पर फर्जी मुकदमें लादे गए।
सुश्री मायावती को यह आत्म चिंतन करना चाहिए कि उन्हें जनता ने क्यों सजा दी और समाजवादी पाटी्र्र को क्यों सत्ता सिंहासन पर बिठा दिया? उन्होने प्रदेशवासियों को बर्बादी अपमान के अलावा और क्या दिया जबकि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने किसानों की कर्ज माफी, मुफ्त सिंचाई, कृषक आपदा बीमा राशि 5 लाख और कन्या विद्याधन, बेकारी भत्ता आदि की व्यवस्था की है। मुस्लिमों के कब्रिस्तानों की चहारदीवारी बन रही हैं। गरीबों और नौजवानों को रोजी रोटी के नए अवसर मिलने जा रहे है। सच तो यह है कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी गलतियों से सबक नहीं लिया और ऐसे ही अनर्गल तथा निराधार आरोप लगाती रहीं तो जनता उन्हें लोकसभा चुनावों में और भी कड़ा सबक सिखाने को तैयार बैठी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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