समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कहावत है सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है। बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती के संदर्भ में यह बात सही लगती है। अपने शासनकाल में उन्होने अराजकता का नंगानाच किया। उनके मंत्री विधायक लूट में लगे रहे। खुद पूर्व मुख्यमंत्री पार्को, स्मारकों और अपनी पत्थर की प्रतिमाएं लगाने में सरकारी खजाना बुरी तरह लुटाती रही। विकास के नाम पर न सड़क बनी न पुल, नहीं एक यूनिट बिजली उत्पादित हुई। उनकी आंखो ने जो तब देखा था वही उन्हें हर मौसम में दिखाई दे रहा है। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में उनकी पुरानी यादें ही हरी हो रही है। उन्होने अपने समय पार्टी में 500 गुण्डो के होने की बात स्वीकारी थी। आधे दर्जन से ज्यादा उनके मंत्री तब जेल की सलाखों के पीछे चले गए थे। उन्हें लगता है वहीं सब अब भी बलात्कार, हत्या करते घूम रहे हैं। उनकी इस दृष्टिदोष का इलाज जनता जानती है।
बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने समय में जो भी योजनाएं चलाई सब में मोटा कमीशन वसूला। जो भी निर्माण कार्य हुए गुणवत्ता में सब घटिया ही साबित हुए। उनके ड्रीम प्रोजेक्ट वाले स्मारकों और हाथी की प्रतिमाओं तक में दरारें पड़ने लगी हैं। बसपा को सत्ता में बिठाने में भाजपा ने सहयोग किया। विगत पांच सालों से बसपा के भ्रष्टाचार की कांग्रेस अनदेखी करती रही। अब सुश्री मायावती को अचानक सांप्रदायिक सौहार्द की फिक्र सताने लगी है। उन्हें केन्द्र में मदद न मिलने की शिकायत है जबकि वे योजना आयोग की बैठकों तक में भी नहीं गई थी। समाजवादी पार्टी पर उनके आरोप वैसे ही हैं जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
सुश्री मायावती का सबसे ताजा शगूफा यह है कि गंगा एक्सप्रेस वे से विकास होता। नोएडा से बलिया तक के लिए गंगा एक्सप्रेस वे योजना किसानों, मुस्लिमों, गरीबों और नौजवानों की भलाई के लिए नहीं, पूंजीघरानों से साठगांठ कर उनको सस्ती जमीन और अपने लिए मोटा कमीशन वसूलने के लिए बनाई गई थी। इसके चलते पर्यावरण विनाश होता और किसानों को बड़ी संख्या में विस्थापित होना पड़ता। पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास की उन्हें इतनी ही चिन्ता होती तो वे वहां कृषि और उद्योग को प्रोत्साहित करती।
श्री मुलायम सिंह यादव ने जो भी जनहित की योजनाएं शुरू की थी, बसपा शासनकाल में उन्हें बंद कर दिया गया। रोजगार के अवसर धन उगाही के अवसर बन गए। विकास का अर्थ लूट और ज्यादा से ज्यादा संपत्ति का बटोरना हो गया। पूर्वांचल का बुनकर उद्योग चैपट हुआ। कालीन उद्योग में मंदी छा गई। खेती के लिए समय से खाद, बीज, पानी की उपलब्धता नहीं हो पाई। पूर्व मुख्यमंत्री अब चाहे जितनी अनर्गल बयानबाजी करके जनता को बरगलाने की कोशिश करें, कोई उनके झांसे में आनेवाला नहीं है। समाजवादी पार्टी के विरूद्व अपना पुराना घिसापिटा रिकार्ड दुहराकर वे अपने काले कारनामों पर पर्दा नहीं डाल सकती है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने विरासत में मिले भ्रष्टतंत्र को बदल कर और नए सिरे से विकास का एजेन्डा तय कर प्रदेश को प्रगति पथ पर अग्रसर किया है। सुश्री मायावती लाख चाहें अब वे घड़ी की सुई पीछे नहीं कर पाएगीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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