जनपद को नगर मुख्यालय को डग्गामारो ने पुलिस को मिलाकर कब्जा कर लिया है चहुंओर टैक्सी स्टैण्ड नजर आता है शहर चाहे डी.एम. बंगला हो चाहे अस्पताल हो या आफीसर कालोनी सभी जगह डग्गामार सवारी भर रहे है और ट्रैफिक सिपाही दरोगा इनके स्टैण्ड मालिक बने है !
वही लाल नीली टोपी होमगार्ड स्टैण्ड के कलेक्सन एजेन्ट, दूसरी ओर कोतवाली के पीछे कोतवाल साहब का लोडिंग अनलोडिंग स्टैण्ड चल रहा है जिसे गल्ला मंडी के नाम से जाना जाता है सिपाही सब्जी मंडी में ठेला स्टैण्ड चला रहे है सभी का रेट तय है वो भी बिना रसीद वाला । तो फिर लाखो का राजस्व का झटका परिवहन निगम व सरकार क्यो न झेले ? जनता और मरीज इन डग्गामारो के कोप को झेलने को मजबूर है । गल्लामण्डी के छोेटे दुकानदार इन वाहनो को जमावडे से भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके है उनकी दुकाने ये बडे अढतिये खरीद कर अपना गोदाम बना रहे है ।
मगर इससे पुलिस की सेहत पर क्या फर्क वो तो पहले से ही दिलगुदी हीन साबित है जिला अस्पताल मे डिलेवरी और आखिरी सांस वाले मरीज समाजवादी एम्बुलेंस मे ही दम तोड रहे है । मगर इससे ट्रैफिक सिपाही व दरोगा को क्या फर्क क्या ये पीडित उनके परिवार के थोडे ही है ? डी.एम. का रसूख,एस.डी.एम. का हूटर नीली बत्त्ती की चमक बस स्टैण्ड व सब्जी मण्डी आते आते फेल हो जाती है आखिर क्यो ?
चूंकि डग्गामार पुलिस को पैसा देकर शहर मे घुसे है ट्रैक्टर वाला एस.पी. बंगले की व्रहृासिंग पर तैनात सिपाही व होमगार्ड को २०रु० देकर शहर में जाम लगाने घुसा है प्राईवेट बसे विधायक पेट्रोल टंकी पर माहवाही देकर सवारी भरती है कोई सेत मे नही खडी है ? बेचारे डग्गामार बैंक की किस्त दे थाने को माहवारी दे, शहर में ट्रैफिक प्रभारी को दे, इंस्योरेंस दे, होमगार्ड को दे, फिर भी ये नासपीटे पत्रकार पीछे पडे रहते है ।
शयद जानते नही कि सपा सरकार है जब डी.एम.,एस.पी. की हिम्मत नही है हटाने की आर.टी.ओ. की औकात नही है हटाने की शायद ये अखबार वाले भूल गये जब डग्गामारो ने आर.टी.ओ. सिपाही व स्वयं संघमित्रा पर गाडी चढाने की कोशिश की थी आखिर क्या बिगडा डग्गामारो का आज भी वजूद व रसूख कायम है । और अभी पांच साल रहेगा जब तक हमारी सरकार है हमे कोई हूटर कोई नीली लाल बत्त्ती नही हटा सकती ये एम्बलेंस और पत्रकार गलत फहमी में है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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