सिर्फ शासन प्रशासन पर दोषारोपण करने से ना तो समस्या की गंभीरता कम होती है ना ही समस्या का समाधान होता है आज जिस मुददे को हम समस्या के रुप मे उठा रहे है वो मुददा हमारे लिए नया नही है यह बात सर्वविदित है कि अपराधो से मानव समाज कभी अछूता नही रहा ।
परन्तु जिस तरह से हमारा आज का समाज अपराधो के वातावरण मे सांस लेने को विवश है ऐसा पहले नही था पहले अपराध यदा कदा होते थे गिने चुने अपराधी थे तरीके और उददेश्य इतने वीभत्स नही थे जितने वर्तमान मे हो चुके है आज ऐसे ऐसे अपराध हो रहे है जिनकी कल्पना तक हमारे पूर्वजो ने नही की होगी।
अपराधियो को संरक्षण देने वाले कभी हमारे समाज मे गिरी निगाह से देखे जाते थे परिस्थितियां इस कदर उल्टी हो गई है कि आज अपराधियो के संरक्षणकर्ता निन्दा के पात्र ना होकर शासन, प्रशासन या समाज मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखे जा सकते है।
अपराधो मे हो रही बेतहाशा वृद्धि के लिए अपराधी और पुलिस प्रशासन तो प्रत्यक्ष दोषी है ही लेकिन कही ना कही हम आप भी कुछ हद तक दोषी है । आज लोग अपराधो को सिर्फ खबर समझकर दो दिन चर्चा करते है फिर भूल जाते है अपने साथ हुई ज्यादती के खिलाफ तो हम सर्वोच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाने की हिम्मत रखते है लेकिन अपने आस पास दूसरो के साथ हुए अपराधो के सम्बंध मे खुलकर चर्चा तक करने से कतराते है।
क्योकि अपराध करने वाला व्यक्ति समाज मे अधिक सशक्त है सोचने वाली बात है कि उसे सशक्त प्रभावशाली बनाया किसने और उसे प्र्रसिद्धि दिलाने मे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से किसकी भूमिका है । आज हमारे प्रदेश और सुलतानपुर के परिप्रेक्ष्य मे देखे तो लगता है अपराधो की बाढ़ सी आ गई है शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब अपराधो का समाचार हमे ना पढने को मिला हो ऐसा नही है कि इसके लिए वर्तमान शासन सत्त्ता ही दोषी है ।
विगत के शासन काम मे भी अपराध होते थे बस अंतर यही आया है कि आज की जनता अपने आस पास की हर घटना को जानने के लिए उत्सुक है और मीडिया बताने के लिए हां ये बात जरुर लगती है कि पुलिस प्रशासन स्वछन्द हो गया है ।
अगर पिछले ३-४ महीनो मे हुए अपराधो को अपने जिले के परिप्रेक्ष्य मे देखे तो किसी भी मामले मे चाहे वह हत्या हो लूट हो या अन्य आपराधिक मामला हो पूरी तरह उसका खुलासा नही हो पाया है। हम अपराधो की भत्र्सना तो करते है अब हमे एक आमराय कायम करनी होगी अपराधियो के खिलाफ उन्हे समाज मे वास्तविक स्थिति का आभास होना जरुरी है तभी उनका नकारात्मक मनोबल गिरेगा ।
ऐसा होना इसलिए भी आवश्यक है कि हमारे देश की कानून व्यवस्था शिथिल है प्रशासन अपने कर्तव्यो से विमुख ना हो और आम जनमानस अपराध और अपराधियो के खिलाफ जागरुक हो तभी हम एक अपराध मुक्त स्वास्थ समाज की कल्पना कर सकते है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com