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मनरेगा के तहत अप्रैल माह से पहले के खर्च पर केन्द्रीय मंत्री की टिप्पणी असत्य -अरविन्द कुमार सिंह ‘गोप’

Posted on 19 July 2013 by admin

  • उत्तर प्रदेश में मनरेगा की प्रगति चैथे स्थान पर

उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरविन्द कुमार सिंह ‘गोप’ ने आज यहां कहा कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने प्रदेश की योजना के संबंध में जो टिप्पणी की है, वह पूर्णतः असत्य है, क्योंकि प्रदेश सरकार को केन्द्र सरकार द्वारा अन्य राज्यों की अपेक्षा देर से व कम बजट दिया गया है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की टिप्पणी से यह प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार के अधिकारी कहीं न कहीं अपने मंत्री को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री जयराम रमेश का बहुत बड़ा व्यक्तित्व है, इसके बावजूद भी इस तरह की टिप्पणी उनके पद एवं गरिमा को शोभा नहीं देती है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में मनरेगा की प्रगति चैथे स्थान पर है।
श्री अरविन्द कुमार सिंह गोप ने कहा कि प्रदेश सरकार को केन्द्र सरकार ने अप्रैल माह के अन्त में धनराशि उपलब्ध कराई है। ऐसे में 01 अप्रैल से कार्य प्रारम्भ करने की बात कही जा रही है जो समझ से परे है। उन्होंने कहा कि समय से पैसा मिलने पर ही कार्य शुरू किया जा सकता है। जून माह का 1375 करोड़ रुपये का लेबर बजट तब हासिल किया गया होता जब यह 01 अप्रैल को दिया जाता। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश द्वारा उपलब्ध धनराशि के सापेक्ष 33 प्रतिशत धनराशि व्यय कर ली गयी थी। उन्हांेने कहा कि केन्द्र सरकार धनराशि समय से उपलब्ध कराती तो प्राप्त धनराशि पूर्ण रूप से व्यय करने की क्षमता प्रदेश सरकार रखती है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री को यह भी देखना चाहिए कि धनराशि उपलब्ध होने के उपरान्त जून में 460 करोड़ रुपये से अधिक व्यय किया गया।
श्री गोप ने कहा कि विगत वर्षों में मनरेगा कर्मियों को वेतन हेतु अनुमन्य प्रशासनिक मद की 175 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराने में भी केन्द्रीय मंत्री आगे नहीं आ रहे हैं, जिसके कारण मनरेगा कर्मियों में रोष व्यक्त है। इस संबंध में भी केन्द्रीय मंत्री अपने निर्णय से अवगत करा दें। श्री गोप ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री द्वारा पिछले दिनों भ्रामक खबर देने के कारण उत्तर प्रदेश सरकार को इसका खण्डन करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार तमिलनाडु एवं आध्र प्रदेश को शुरूआत में ही क्रमशः 1400 एवं 2400 करोड़ रुपये दे दिये गये हंै। उसी प्रकार अगर उत्तर प्रदेश को भी शुरूआत में ही धनराशि दे दी गई होती तो मनरेगा की प्रगति में किसी भी तरह की रूकावट नहीं आने दी जाती। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 52 हजार ग्राम पंचायतों को पर्याप्त धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित होती तो भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य से कहीं अधिक विकास हो गया होता।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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