जनपद की आम जनता को न्याय पालिका लगातार खुशियों की सौगात दे रही हैे जिसके चलते घर घर मे जनता माननीय सुप्रीम कोर्ट व माननीय उच्च न्यायालय को कोटि कोटि बधाई दे रही है और माननीय न्यायाधिशों को हजारो आशीष दे रही है । कारण साफ है कि भारत के लगभग सभी राजनीतिक दल सही मायने मे जनता नही बल्कि बाहूबली पूजक बनते जा रहे थे यही अपराधी शिरोमणि अपने अपराधिक आकंडो और अपराधियों शूटरो की बदौलत सत्त्ता में चुनाव जीतकर इंट्री पा जाते थे और लोकतंत्र में उच्च सदन मे बैठकर करोडो संविधान पसंद जनता के भाग्य विधाता बन जाते थे ।
बीते दो दशक से राजनीती मे जनता इन राजनीतिज्ञो के वोट देने का साधन मात्र बन चुकी थी जनता कभी भी इन सत्त्ताशीनो के आगे अपनी बात मजबूती से नही रख पाती थी । कारण भी था कि सत्त्ता व विपक्ष में करीब करीब इन लोगो का वर्चस्व हो गया था जिनके पास तमाम सरकारी गैर सरकारी संसाधन मौजूद थे और उनके बलपर निहत्थी और मजबूर जनता को शोषण झेलना पडता रहा है बीते दिनो सामाजिक कार्यकर्र्ता हन्ना हजारे का और उनकी टीम का हश्र सभी ने देखा है जिन्हे कोर्ट के उनके चैम्बर में घुसकर पीटा गया था उनका हस्र देखकर कौन आम जनता सरकार और सत्त्ता धारियों का विरोध कर सकता था इन सबकी जड में माननीय बने अपराधी सांसदो व नेताओं की भूमिका जग जाहिर है ।
भारत की लगभग सभी राजनीतिक पाटियां ऐसे समय अपराधि का प्रभावो का भरपूर इस्तेमाल करती है जिससे चुनाव आयोग को बैलट बचाने के लिए सेना तक लगानी पडती है । बूथो का नाम करण करना पडता है संवेदन शील, अतिसंवेदनशील की श्रेणी बनानी पडती है चूंकि उस क्षेत्र से जेल में बद कुख्यात अपराधी चुनाव लड रहा होता है और उसके शूटर चुनाव प्रचार और प्रबंघक देख रहे होते है । जनता करे भी तो क्या उसके पास इनसे निपटने की ताकत ही नही है उसकी आवाज सुनने वाला ही कोई नही है मगर इन अपराधियों के जेल मे रहते चुनाव लडने और दो साल तक की सजा प्राप्त करने वालो पर चुनाव लडने पर सुप्रीमकोर्ट के आदेश ने एका एक राजनीति की दशा और दिशा ही बदल दी है ।
अब इन अपराध शिरोमणियों से राजनीतिक दलो को किनारा करना ही पडेगा और जनता की आवाज ओर उसके अधिकार की पैरोकारी करना ही पडेगा वरना अब जनता इन अपराधियों के शूटरो और उनकी दहसत में आने वाली नही है । सही मायने मे दिन प्रति दिन राजनीति में समाजसेवी व्यवहारिक, मृदुल और विकास सेवको की पूछ बढेगी और अपराधी की जगह मात्र जेल ही होगी सत्त्ता की कुर्सी नही ही मिलेगी वही अब पुलिस और अधिकारियों को भी अपनी गैरत और इज्जत किसी अपराधी माननियो को प्रोटोकाल के चलते नही गवानी पडेगी । धन्य हो सुप्रीम कोर्ट और चिरंजीवी हो ऐसे माननीय न्यायाधीश जिन्होने करोडो मजबूर जनता का मान सम्मान बचा लिया और सत्त्ता से अपराधियों की छुटटी करने का मार्ग प्रसस्त कर दिया
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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