आज के इस युग मे समाज का दो वर्गो को अपने रोजी रोटी का संकट व्याप्त हो गया है हमारे समाज मे आज कल शादी विवाह के समारोह मे प्लास्टिक दोना पत्त्तल व ग्लास का उपयोग धडल्ले से किया जा रहा है।
जिसकी वजह से कुम्हार व वनराजा जाति के लोग धंधो पर कठुराघात हो रहा है जिससे इन समुदायो का धंधा चैपट हो गया है आप देख रहे होगे कि किसी कार्यव्रहृम मे इन जनजातियो का वह पुराना दोना पत्त्तल प मिटटी का कोहला कही दूर दूर नही दिखता जब कि समाज के लोगो को पता है कि इन प्लास्टिक बर्तनो से हमारे स्वास्थ्य व पर्यावरण को काफी नुकसान होता है लेकिन समाज आंख मूदकर इसका उपयोग जम कर कर रहा है ।
एक तरफ हरे पेडो की कटान की वजह से जंगल खत्म होते जा रहे है जिसमे बनराजा समुदाय के लोगो को पत्त्तल बनाने के लिए पत्त्ते भी ठीक से नही मिल पा रहे है और जो बचा है उसे प्लास्टिक बर्तनो को बढा रहे बाजार रही सही कसर पूरी कर दे रहे है ।
यह दोनो समुदाय अपने मेहनत के बल पर अपनी रोजी रोटी चलाता है आज उसका जीना दूभर हो गया है सलीमपुर ग्रेंट के प्रतापू व तेजराम ने बताया हम लोग पत्त्ते तोडकर पत्त्तल बनाते है लेकिन अब काफी जंगल खत्म हो गया है जिसकी वजह से हम लोगो को काफी मेहनत कर के पत्त्तल लाकर बनाना पड़ता है और जो बचा है वह अब बाजार के प्लास्टिक के बर्तनो की वजह से हमारे समानो को कोई पूछता नही है।
यही हाल कुम्हार जाति का है शुकलहिया के कुम्हार का टोला के रामरुप व राम मूरत बताते है कि हमारे बर्तनो को कोई अब नही पूछता है तब की पहले हम लोगो का बनाया बर्तन खूब बिकता था लेकिन प्लास्टिक बाजार मे हम लोगो को रोजी रोटी के लिए मुहाल कर दिया अब अगर दूसरा धंधा करे तो हमारा परिवार भुखमरी के कगार पर आ जायेगा।
कुम्हार व वनराज समुदाय शासन की तरफ देख रहे है शायद शाशन की नजर इन समुदायो पर पड़ जाय और इनके भी दिन बहुर जाये ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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