१४ जुलाई । सरकारी अस्पताल और उसमे कार्यरत डाक्टर फार्मासिस्ट जब राजनीति के शिकार होगे तो उनका उत्साह गिरेगा और खुद को बचाते हुए ऐसा काम करेंगे कि सांप मरे या न मरे पर लाठी न टुटे किसी सच्चाई तक पहुचने से पहले निर्णय ले लेना कही गुनाह वे लज्जत जैसी बात न हो यह सोच कर काम करने से लोगो को फायदा मिलता है।
पर आज कल दबाव मे निर्णय लेने का चलन हो गया है बडे बडे गुनाहो में गुनाहगार खुली हवा में घूमते है और बुगुनाह लोगो को बलि का बकरा बनाने मे तनिक भी संकोच नही करते मामला जिला चिकित्सालय मे दो सप्ताह मे दो मौत से जुडा है जबकि दोनो मौत के बारे में जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.आर.पी. सिंह का कहना है कि पहली मौत जिस व्यक्ति कि हुइ थी उसके परिजन उसको तब अस्पताल मे लेकर आए जब उसकी स्थिति बहुत ही नाजुक हो गई थी उसकी आंते पूरी तरह सड़ गई थी ।
दूसरी महिला कि मौत जहरीले सांप के काटने से हुई उस महिला को दिन में १० बजे सांप ने काटा और अस्पताल में १२ बजे लाई गई डाक्टरो ने हर संभव प्रयास किया परन्तु वह बच नही पाई तो इसमे डाक्टरो की गल्ती या लापरवाही कहा से है सी.एम.एस. का कहना है कि जिला अस्पताल मे जो भी डाक्टर है उनकी कबिलियत पर शंका नही किया जा सकता डाक्टर पूरी इमानदारी से मरीजो को स्वास्थ्य लाभ पहुचाने का काम करते है रहा सवाल अनारा देवी का पोस्टमार्टम का तो पोस्टमार्टम करने वाले गायनिक सर्जन डा० आन्नद सिंह का कहना है कि अनारा देवी की मौत विषैले जन्तु के जहर से हुई है उसमें डाक्टर की लापरवाही का सवाल ही नही उठता ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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