१४ जुलाई । जनपद मे चहुंओरं अब चर्चा है तो बस न्यायपालिका की खुशियां है आम जनमानस में तो इस बात की कि अब सत्त्ताधारी सभी को पूछेगे सम्मेलन होगा तो आम जनका न ब्राम्हण न अनुसूचित न यादव सभा का ।
गौरतलब हो कि उच्च न्यायालय ने हाल ही मे एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सभी राजनैतिक पार्टियों को जातिये सम्मेलन करने पर रोक लगा दी और प्रमुख दलो को नोटिस जारी कर दी है जिससे आम जनता मे खुशी की लहर दौड गई जगह जगह अदालत के आदेश पर चर्चायें शुरु हो गई है । कही खुशी तो कहीं गम देखने को मिल रहा है कुछ लोग अभी भी अदालत के निर्र्णय को काफी कम आंक रहे है चूंकि बीते कई दशक से गेरुआ पार्टी के कमण्डल वाद में जनता ने राजनैतिक दलो के विरादरी बाद को समाज मे पुष्पित और पलव्वित कर सत्त्ता का महावृक्ष बना दिया था ।
उसी को बीते पंच वर्षीय समय मे शोसल इंजीनियरिंग का घृणित नाम देकर सत्त्ता सुख भोगा गया जिसका फायदा चन्द सामजिक ठेकेदारो ने मनमर्जी उठाया उ०प्र० के सत्त्ताधरियों ने जातियों के प्रतिशत जारी कर समाज को पूरी तरह खंड खंड करने के लिए वेहद अंसवैधानिक नारे तक तक गढे हथिया नसीन पार्टी के नेताओं ने नारा दिया ब्राम्हण शंख बजायेगा हाथी दिल्ली जायेगा । उसके पूर्व विरादरी को सत्त्ता का हथियार बनाने के लिए नारा दिया गया कि तिलक तराजू और तलवार इनको जूते मारो चार जैसे घृणित और अपमान जनक नारे से सत्त्ता की कुर्सी प्राप्त करनी चाही अब सत्त्ता की लालायित पार्टियों ने धर्म के आधारा पर लालबत्त्ती थानो मे पोस्टिंग प्रशासन शासन में पोस्टिंग का खुलेआम नंगा नाच शुरु कर दिया है ।
बात यही नही रुकी है अभी तक मण्डल से लगे एस.पी., डी.एम. वोटो से लेगे सी.एम.,पी.एम. तक पहुंच चुकी है । धार्मिक आधार पर वोटो का धु्रवीकरण करने की कहानी शुरु हो चुकी है जिसको हमारे देश की इलेक्ट्रानिक मीडिया स्टूडियों मे बैठकर धार दे रही है और टेलीविजन के जरिये पूरे देश की जनता मे हिन्दू और मुसलमान की पैरोकारी राष्ट्रीय पार्टियां शुरु कर चुकी है।
जिन पर अब माननीय सुप्रीम कोर्ट को कठोर निर्णय और निर्देश देने की जरुरत है मामले को संयम रहते राष्ट्रवादियों को सर्वोच्च अदालत के संज्ञान में लाना पडेगा वर्ना ये नेता हिन्दुस्तान का एक बार फिर बंटवारा कराने की फिराक में दिखाई पडते है धर्म और जाति की बात करने वाले निश्चित ही भारत और संविधान विरोधी है इन पर आजीवन चुनाव लडने पर पाबंदी लगनी चाहिए साथ ही इनकी जगह समाज मे न होकर जेलो मे होनी चाहिए । भारत की जनता माननीय सवोच्च न्यायालय की ओर न्याय के एतिहासिक निर्णय की प्रतीक्षा कर रही है
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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