- पोल्ट्री के लिए बैंक लोन पर बीमा की अनिवार्यता समाप्त कर उसे स्वैच्छिक किया गया
- पोल्ट्री लोन पर स्टाॅम्प ड्यूटी हटाये जाने पर सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी -आलोक रंजन
- पोल्ट्री उद्यमियों एवं बैंकर्स के साथ बैठक सम्पन्न
12 जुलाई, 2013
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन की अध्यक्षता में आज यहां पोल्ट्री नीति लागू करने में आने वाली दिक्कतों को सुलझाने के लिए पोल्ट्री उद्यमियों, बैंकर्स, पशुधन विभाग के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक सम्पन्न हुयी, जिसमें कृषि उत्पादन आयुक्त ने पोल्ट्री उद्यमियों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार राज्य में नीति के अनुसार अण्डों के उत्पादन एवं कुक्कट में वृद्धि के लिए उद्यमियों को हर सम्भव रियायतें देने का प्रयास करेगी।
श्री आलोक रंजन ने बैंक प्रतिनिधियों से वार्ता कर पोल्ट्री उद्यमियों को बैंक लोन पर अनिवार्य बीमा की शर्त को हटाये जाने पर राजी किया और बैठक मंे ही यह निर्णय लिया गया कि अब उत्तर प्रदेश में पोल्ट्री उद्योग के लिए लोन लेने वाले उद्यमियों द्वारा लोन पर बीमा कराया जाना उद्यमी की इच्छा पर निर्भर करेगा, यह अनिवार्य नहीं होगा। उद्यमियों एवं बैंकर्स ने बैठक में कृषि लोन के अन्तर्गत पोल्ट्री लोन दिये जाने की स्थिति में पांच लाख से ऊपर की राशि पर प्रति हजार पैंसठ रुपये की स्टाॅम्प ड्यूटी में रियायत दिये जाने की जोरदार मांग की और कहा कि लोनिंग आसान बनाने के लिए अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी पोल्ट्री लोनिंग पर स्टाम्प ड्यूटी न लगायी जाये। इस पर कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि इस विषय को सरकार के समक्ष सहानुभूतिपूर्वक विचार के लिए रखा जायेगा।
पोल्ट्री उद्यमियों द्वारा उद्योग के हित में दिन के समय सहित 16 घण्टे विद्युत आपूर्ति की मांग पर बैठक में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि चूंकि विद्युत आपूर्ति चूजों और मुर्गियों तथा ब्राॅयलर के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए एक आवश्यक उपादान है, इसलिए उद्यमियों की मांग के अनुसार 16 घण्टे बिजली की आपूर्ति हेतु व्यवस्था किये जाने के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभाग से परामर्श किया जायेगा और हर सम्भव आपूर्ति की व्यवस्था की जायेगी। उद्यमियों द्वारा बैंक लोनिंग में आने वाली कोलैटरल सिक्योरिटी की दिक्कतों को उठाये जाने पर बैठक मंे शासन के प्रतिनिधियों और बैंक प्रतिनिधियों द्वारा गहन विचार-विमर्श के बाद कोलैटरल सिक्योरिटी देने पर सहमति बनी। उद्यमियों द्वारा इसका जोरदार स्वागत किया गया और कहा गया कि इससे उद्योग लगाने के लिए आवश्यक लोनिंग मंे आसानी हो जायेगी।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन ने बताया कि राज्य में 108 करोड़ अण्डा प्रति वर्ष उत्पादित होता है और राज्य की आवश्यकता की पूर्ति हेतु निजी उद्यमियों द्वारा 365 करोड़ अण्डे प्रति वर्ष देश के अन्य प्रान्तों से आयात किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि कुक्कुट मांस उत्पादन हेतु वर्तमान में 1082 लाख ब्रायलर के चूजे प्रदेश के विभिन्न जनपदों में पाले जा रहे हैं जबकि 972 लाख ब्रायलर चूजे प्रति वर्ष अन्य प्रदेशों से आयात किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस परिदृश्य में राज्य में ‘‘कुक्कुट विकास नीति-2013’’ लाई गयी है और इसका उद्देश्य उद्यमियों को विभिन्न प्रकार का सहयोग प्रदान कर इनवेस्टर फ्रेंडली वातावरण सृजित करना है। कुक्कुट नीति के अन्तर्गत लक्ष्य रखा गया है कि अगले पांच वर्षों में 123 लाख, कामर्शियल लेयर्स पक्षियों के फार्म की 410 इकाइयों की स्थापना की जाये। उन्होंने कहा कि इसके बाद राज्य में 370 करोड़ अण्डों का उत्पादन प्रति वर्ष होने लगेगा और तब हमारा प्रदेश अण्डों के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव, पशुधन श्री योगेश कुमार, निदेशक पशुधन श्री रुद्र प्रताप, पोल्ट्री उद्योग के प्रभारी श्री किदवई, आन्ध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, एवं राज्य के सभी बड़े पोल्ट्री उद्यमी, आल इण्डिया इक्युपमेंट मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री चक्रधर राव, आल इण्डिया लेयर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री रंगराव रेड्डी, फीनिक्स गु्रप के मुख्य कार्यकारी श्री प्रभाकर अइयर, मोहाली के इक्युपमेंट मैनुफैक्चरर श्री दारा सिंह, एनईसीसी के मुख्य कार्यकारी श्री अजीत सिंह, केनरा बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा, स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया, बैंक आॅफ इण्डिया के बड़े अधिकारी, यूनाइटेड इण्डिया, इन्श्योरेंस एवं न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस के अधिकारी आदि उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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