- परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि, भू-गर्भीय जल स्तर में सुधार के साथ कृषकों की आय में वृद्धि होगी
- कृषि विविधीकरण परियोजना किसानों के लिए महत्वपूर्ण एवं लाभकारी -आनन्द सिंह
10 जुलाई, 2013
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 18 जनपदों (बुलन्दशहर, अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सहारनपुर, मुजफ्फर नगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, अलीगढ़, बरेली, बदायँूं, शामली, सम्भल एवं हापुड़) के लिए डास्प द्वारा क्रियान्वित होने वाली कृषि विविधीकरण परियोजना किसानों के लिए महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है, इससे पर्यावरण में भी सुधार आयेगा।
कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने आज यहां यह विचार योजना भवन में आयोजित
‘‘कृषि विविधीकरण परियोजना’’ के प्रस्तुतीकरण से संबंधित कार्यशाला में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भविष्य में जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कृषि उत्पादन में वृद्धि लाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस कार्य में क्षेत्रीय पर्यावरण, मृदा स्वास्थ्य, गिरते हुये भू-गर्भीय जल स्तर आदि में सुधार को ध्यान में रखना होगा। किसानों को नई सोच, नई तकनीकी अपनानी होगी। कृषि विविधीकरण परियोजना का क्रियान्वयन कृषि एवं कृषकों के हित को ध्यान में रख कर सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने बताया कि किसानों को कृषि के साथ-साथ सब्जियों एवं फलों के प्रसंस्करण तथा कृषि से संबंधित अन्य कार्यांे को भी अपनाकर लाभ उठना होगा। उन्होंने कहा कि भूमि कम होती जा रही है, बेहतर भविष्य के लिए ऐसी कृषि का अपनाना उपयोगी है जो अधिक आर्थिक लाभ दे तथा मृदा की सेहत में सुधार भी हो सके। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा इसके लिए कृषक एवं कृषकों का हित सर्वोपरि रखकर अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन एवं संचालन किया जा रहा है।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने कहा कि हरित क्रांति के बाद प्रदेश में कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई एवं हमारा प्रदेश आत्मनिर्भर बना, लेकिन इसके साथ ही धीरे-धीरे उत्पादन में स्थायित्व भी आ गया। उन्हांेने कहा कि 18 जनपदों के 170 ब्लाकों में भूगर्भीय जल स्तर गिर रहा है, जिसमें 42 विकास खण्ड अति दोहित एवं 8 विकास खण्डों की स्थिति अति गम्भीर है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को ध्यान में रखते हुए धान उत्पादन की जगह मक्का, दलहन बाजरा तथा ग्वार के उत्पादन के लिए कृषकों को चिन्हित कर लाभान्वित किया जायेगा। योजना के अन्तर्गत बाजार प्रबन्धन बीजों की उपलब्धता, प्रसंस्करण आदि का पूरा ध्यान दिया जायेगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ ही पर्यावरणीय संरक्षण उपलब्ध होगा।
प्रमुख सचिव कृषि श्री देवाशीष पण्डा ने कहा कि गत वर्ष में कृषि उत्पादन उपलब्धिपूर्ण रहा। इसके साथ ही इस पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड के लिए दलहन, तिलहन योजना बनायी जा रही है। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के लिए धान के स्थान पर मूंग, उर्द, मक्का एवं ग्वार उत्पादन अपनाने की बात रखी, इसके साथ ही उन्होंने परियोजना के समय पर एवं अच्छे ढंग से क्रियान्वयन की आशा व्यक्त की।
यू0पी0डास्प के प्रबन्ध निदेशक श्री राजन शुक्ला ने कृषि विविधीकरण परियोजना के संबंध में विस्तार से बताया। इस परियोजना में पापुलर वृक्षारोपण को भी महत्व दिया जायेगा जिससे कृषकों की आय में वृद्धि होगी। कार्यशाला में सभी जनपदों के जिला कृषि अधिकारियों एंव मुख्य विकास अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र के विषय में अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कार्यशाला में कुलपति सरदार बल्लभभाई पटेल कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, कृषि निदेशक श्री देवमित्र सिंह, डास्प के तकनीकी सहायक डा0 गजेन्द्र सिंह, 18 जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी आदि शामिल हुये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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