जनपद की बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग मे तैनात मुख्य सेविकाएं योजना की बर्बादी की सूत्रधार है या यूं कहियें कि इस महत्वाकांक्षी योजना के भ्रष्टाचार की कैरियर बन चुकी है ।
गौरतलब हो कि केन्द्र सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना जो कि समाज के सबसे निचले तबके तक को इस परियोजना से लाभाविन्त कर बच्चो गर्भवती महिलाओं, किशोरियों को विश्व की सबसे बडी चिन्ता कुपोषण से निजात दिलाने की पहल करने वाला एक मात्र विभाग व योजना है जिसके नियमित केन्द्र और प्रदेश सरकार के आर्थिक सहयोग से ग्राम सभा स्तर तक आंगनवाडी सेन्टर संचालित है जिसमें अल्प मानदेय पर क्षेत्रीय पढी लिखी महिलाएं आंगनवाडी व सहायिका तैनात है जिनके सेन्टरो को संचालित करने के लिए सरकार करोडो रुपये प्रतिवर्ष व्यय कर रही है । इनके कुशल संचालन का पर्यावेक्षण करने के लिए वाकायदा राज्य कर्मी के रुप में मुख्य सेविका और परियोजनाधिकारी भी प्रत्येक ब्लाको पर तैनात है फिर भी १९७५ से अब तक इस परियोजना का वास्तविक लाभ लाभार्थियों को नही पहुंच रहा है । ना ही मातृ शिशु मृत्युदर कुपोषण के चलते कम हो पा रही है उसका कारण बेहद करीबी और जमीनी है । परियोजना की हाथ पैर आंगन वाडी है और सहायिका है मगर वही इस परियोजना की सबसे बडी त्रासदी सरकार द्वारा नियमित कर्मी मुख्य सेविका है जो इस योजना और इसके धन की ऐसी तैसी कर रही है ।
जिले मे आंगन वाडियों के सीधे सम्पर्क मे रहने के चलते ये सरकारी मैडमें प्रत्येक स्तर पर धन उगाही करने के लिए ही तैनाम है । एक एक मुख्य सेविका के चार्ज में ३० से ४० सेन्टर है जिनसे ये प्रतिमाह हजारो की अवैध वसूली निरिक्षण के नाम पर करती है मसलन पुष्टाहार मे ५००रु० से ७०० सौ रुपये हाटकुण्ड में २००० हजार रुपये फलैक्सीमनी का एक हजार, स्टेशनरी, मेंटीनेंस मे सीधे विभाग मे फर्जी बाउचरो के माध्यम से हजारो की वसूली आडिट के नाम पर और तो और गर्मी की छुटटी मातृत्व लाभ अवकाश के नाम पर ५०रु० प्रति दिन की वसूली वर्दी की खरीद के नाम पर सैकडो की वसूली पूरा चर्चित मामला है ।
मगर इन कमाउहृ पूतो पर न तो विभाग कोई कार्यवाही करता है न ही शासन प्रशासन पूरे जनपद मे सबसे कुख्यात परियोजना दूबेपुर मानी जाती है । जहां राज्य कर्मचारी सेवा नियमावली ही शून्य है यहां तैनात कर्मी नियुक्ति से आज तक तैनाम है और खाश बात यह है कि ये सरकारी कर्मी यही के मुल निवासी है यही इनका प्रमोशन हुआ प्रमोशन से पूर्व कई कई बार बर्खास्तगी हुई मगर पैसे के दम पर पूरे निदेशालय तक को खरीदने की माद्वा रखने वाली कर्रि्मयों से योजना की सफलता की अपेक्षा जनता की आंख मे धूल झोकना है ।
इन कर्रि्मयों की दबंगई और धन बल से पूरे क्षेत्र की लाभाथी और जनता त्राहि माह कर रही है आंगन वाडियो तो मजबूर मजलूम और शोषित है उनकी आवाज कोई न शासन सुन रहा है न प्रशासन न अखिलेश यादव लाभर्थियो व मानदेय कर्मियों ने दबेपुर परियोजना कर्मियों की कार्यशैली की जांच किसी दूसरे विभाग व शासन स्तरीय अधिकारी से कराने की मांग की है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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