- पहले च्वाइस सीट लाॅक करने वालों को पहले आवंटन नहीं -सचिव, संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद
उत्तर प्रदेश पालीटेक्निक संस्थाओं में डिप्लोमा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु अभ्यर्थियों की मेरिट के अनुसार उनके द्वारा भरे गये विकल्पों के वरीयताक्रम में कम्प्यूटर से एन0आई0सी के साॅफ्टवेयर के द्वारा संस्था का आवंटन होगा। अभ्यर्थियों के विकल्पों के आवंटन में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जायेगी, किसी भी स्तर पर कोई गड़बड़ी की आशांका नहीं है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों के 56 केन्द्रांे पर गत 5 जुलाई, 2013 से काउन्सिलिंग की प्रक्रिया जारी हैं।
प्रदेश के संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद के सचिव श्री योगेन्द्र सिंह यादव ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कतिपय काउन्सिलिंग केन्द्रों पर अभ्यर्थी प्रमाण-पत्रों की जांच व च्वाइस लाॅक के लिए बिना जानकारी के अफरा-तफरी का माहौल बना रहे है। उन्होंने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि अभ्यर्थियों में अनुभव की कमी के चलते यह भ्रांति व आशांका हो रही है कि जो पहले च्वाइस लाॅक करेगा उसे पहले संस्था आवंटित हो जायेगी। लेकिन यह आशांका पूरी तरह निराधार है। उन्होंने बताया कि अभ्यर्थियों की च्वाइस लाॅक के बाद पूरी तरह पारदर्शी व्यवस्था के अंतर्गत एन0आई0सी के साॅफ्टवेयर के द्वारा ही वरीयताक्रम में विकल्पों का आवंटन किया जायेगा। उन्हांेने बताया कि अभ्यर्थी अफवाहों पर ध्यान न दें, वे किसी भी समय अपनी च्वाइस लाॅक कर सकतें है। इससे सीट भरने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
श्री यादव ने बताया कि पाॅलीटेक्निक संस्थाओं में डिप्लोमा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रथम फेस में 01 से 40,000 ओपेन रैंक वाले अभ्यर्थियों को ही अवसर दिया गया है। उन्होंने बताया कि विस्तृत विवरण के लिए जारी कार्यक्रम में इस बात का उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि यह बिल्कुल नहीं है कि जो अभ्यर्थी पहले सीट लाॅक करेगा उसे पहले आवंटन मिलेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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