03 जुलाई, 2013
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में औद्योगिक विकास की गति को बढ़ाने तथा गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग के क्षेत्र में पूँजी निवेश को आकर्षित करने हेतु नई घोषित चीनी उद्योग, को-जेनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति 2013 के तहत नई चीनी मिलों एवं नई आसवनी की स्थापना अथवा स्थापित चीनी मिलांें/आसवनी की क्षमता विस्तार करने वाली कम्पनियों/इकाइयां को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
यह जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास श्री राहुल भटनागर ने बताया कि नई चीनी मिलों एवं आसवनी की स्थापना पर शीरे की प्रथम विक्रय की तिथि से 5 वर्षों तक जमा किये गये वैट व केंद्रीय बिक्री कर योग के बराबर अथवा वार्षिक विक्रय धन का 10 प्रतिशत, जो भी कम होगा, ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जायेगा। उपलब्ध कराये जाने वाले ब्याज मुक्त ऋण, वितरण की तिथि से 5 वर्ष बाद देय होगा। यह ऋण वितरण वार्षिक आधार पर किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में चीनी उत्पादन में लगी कम्पनी/इकाई द्वारा चीनी मिल एवं आसवनी का क्षमता विस्तार करने पर, विस्तारित क्षमता पर उत्पादित शीरे के प्रथम विक्रय की तिथि से 5 वर्ष तक जमा किये गये वैट व केंद्रीय बिक्री-कर के योग के समतुल्य अथवा वार्षिक विक्रय धन की 10 प्रतिशत धनराशि जो भी कम होगा, ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जायेगा।
प्रमुख सचिव ने बताया कि किसी इकाई द्वारा पिछले 5 वर्षों में किसी वर्ष में किये गये अधिकतम उत्पादन अथवा स्थापित उत्पाद क्षमता का 80 प्रतिशत जो भी अधिक होगा उसे आधारभूत उत्पादन माना जायेगा। आधारभूत उत्पादन से अधिक किये गये क्षमता विस्तार को ही विस्तारित क्षमता माना जायेगा। उन्होंने बताया कि वार्षिक विक्रय धन का तात्पर्य इकाई द्वारा उत्पादित शीरे की बिक्री की प्रथम तिथि या 01 अप्रैल से अग्रिम मार्च की अवधि में की गयी बिक्री से है।
श्री भटनागर ने बताया कि ब्याज मुक्त ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदक को गत वित्तीय वर्ष मंे उसके द्वारा जमा किये गये वैट व केंद्रीय विक्रय-कर का योग तथा वार्षिक विक्रय धन का 10 प्रतिशत का विवरण प्रारूप 4(च) पर व्यापार कर विभाग से प्रमाणित कराकर उपलब्ध कराना होगा। आवेदक द्वारा जमा किये गये वैट एवं केंद्रीय बिक्री-कर का योग तथा वार्षिक विक्रय धन का 10 प्रतिशत जो भी कम होगा के समतुल्य धनराशि, ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध करायी जायेगी। इकाई द्वारा ऋण का भुगतान, वितरण की तिथि से 5 वर्ष बाद किया जायेगा, जिसकी गणना वितरण की तिथि से की जायेगी। श्री भटनागर ने बताया कि ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा का लाभ उठाने के साथ ही इकाई को समझौता ज्ञापन (एम0ओ0यू0) देना होगा कि अगले पाँच वर्षों तक इकाई बन्द नहीं की जायेगी। पंजीकृत इकाई द्वारा निर्धारित अवधि में ऋण की वापसी न करने पर विलम्ब की अवधि के लिए 1.25 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से साधारण ब्याज देना होगा। उन्होंने बताया कि योजना के अन्तर्गत उन पंजीकृत इकाइयों को ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी, जो राज्य एवं केंद्र सरकार तथा वित्तीय संस्थानों के देयों के डिफाल्टर नहीं होंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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