कुड़वार । ग्रामीण अंचलो मे निर्बल व असहाय परिवारो का जीना दूभर है । जहां गांवों के भू माफिया व दबंगो के दबंगयी से त्रस्त गरीब परिवारो का पलायन अनवरत जारी है । ग्रामीण क्षेत्रो मे कृषि भूमि जैसे लेख दस्तावेज आबादी भूमि का उपलब्ध न होने से जिसकी लाठी उसी की भैंस वाली कहानी चरितार्थ हो रही है । अधिकतर गांवो मे नाली, नाबदान, सुलभ शौचालय, उपली कण्डा, सरिया तथा रास्ता आदि आबादी भूमि पर बनाने को लेकर आये दिन विवाद होना आम बात है ।
गौरतलब हो कि विकास क्षेत्र कुडवार मे कुल साठ ग्राम पंचायतें है जिसमें कोई भी ऐसी ग्राम पंचायत नही है जहां ग्राम सभा की जमीन व आबादी भूमि को लेकर विवाद उत्पन्न न हुआ हो । दर्जनो ग्राम पंचायतो मे ग्राम सभा की वेश कीमती जमीन के लेकर खूनी संघर्ष भी हो चुके है । जबकि सरकौडा, प्रतापपुर, देवलपुर, गंजेहडी, सोहगौली, बेला पश्चिम, कुडवार, अगई, धारुपुर, रवनिया पश्चिम, भगवानपुर बहुवरा, तथा नरोत्त्तम आदि ग्राम पंचायतो में बजंर परती बचत व आबादी भूमि पर कब्जे को लेकर विवाद तूल पकडता जा रहा है जो किसी भी समय खूनी संघर्ष का रुप ले सकता है ।
सूत्रो के अनुसार प्रतापपुर, धरावां, गंजेहडी, हरखपुर, भण्डरा, नौगवांतीर, एवं हरखपुर ग्राम पंचायतो मे दबंगो के दबंगयी से त्रस्त कई परिवार पलायन कर गये और कुछ पलायन करने के प्रयास मे है । दिनो दिन बढते भूमि विवाद शासन प्रशासन दोनो के लिये चुनौती बनती जा रही है । ज्ञातव्य हो कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्य मंत्रित्व काल मे गांवो की हकीकत जानते हुए हकबन्दी प्रव्रिहृया लागू करने की पहल की परन्तु सपा बसपा मे टकराव के चलते सपा सरकार ज्यादा दिन तक स्थिर न रहने से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सपने अधूरे रह गये । अब जबकि प्रदेश मे पूर्ण बहुमत की सपा सरकार है और महत्वा कांक्षी मुलायम सिंह यादव के युवा लाडले अखिलेश यादव मुख्य मंत्री है वे अपने पिता के अधूरे सपने पूर्ण करने में कितना सफल होगें इन्ही बातो को लेकर क्षेत्र मे चर्चाओं की बाजार गर्म है जिन्हे मिशन २०१४ मे अपनी योग्यता की अग्नि परीक्षा देनी है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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