बरसात का मौसम शुरू होते ही उत्तर प्रदेश में बाढ़ की स्थिति अत्यंत भयावह रूप धारण कर चुकी है किन्तु प्रदेश सरकार अभी तक लगता है किसी बड़ी अनहोनी घटना का इंतजार कर रही है। यही कारण है कि अभी तक बाढ़ की रोकथाम एवं उससे निपटने के सम्बन्ध में कोई कार्ययोजना नहीं बनायी गयी है। आने वाले समय में प्रदेश के हालात फिर वैसे ही होंगे, जिस तरह से पिछले वर्षों में बाढ़ की विभीषिका में सैंकड़ों निर्दोष लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश में शारदा, घाघरा, राप्ती तथा कुंआनों आदि प्रमुख नदियां बरसात के प्रारम्भ में ही जिस तरह से अभी ही ऊफान पर हैं उसके कारण गोरखपुर, बहराइच, सिद्धार्थनगर, गोण्डा, लखीमपुरखीरी, पीलीभीत से लेकर बलिया तक तमाम जनपदों के लगभग 600 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जबकि यह संख्या आगे चलकर काफी बढ़ेगी और जिससे लाखों लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। बाढ़ की विभीषिका से अभी तक लगभग 63 मौतें हो चुकी हैं जबकि राज्य सरकार कुम्भकर्णी नींद सो रही है। प्रदेश सरकार की ओर से बाढ़ की रोकथाम हेतु न ही कोई एडवाइजरी जारी की गयी है और न ही नदियों के किनारे रह रहे परिवारेां और जहां भीषण कटान हो रही हैं उन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था हेतु जिले के अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि सिर्फ बयान के बल पर सरकार चलाने वाली समाजवादी पार्टी यह मानकर चल रही है कि जब तक कोई भीषण हादसा नहीं हो जाता तब तक सरकार की सक्रियता की आवश्यकता नहीं है। और यही कारण है कि लोगों केा भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है। बाढ़ की रोकथाम और इससे निपटने के लिए बार-बार केन्द्र सरकार से धन लिया जाता है किन्तु उसका सही सदुपयोग न होने के कारण लोग बाढ़ और उससे हो रहे नुकसान का दंश झेलने को मजबूर हैं जबकि सिर्फ केन्द्र के ही पैसे का यदि सही सदुपयोग किया जाता तो आज बाढ़ से निपटने की समुचित व्यवस्था हो चुकी होती।
श्री त्रिपाठी ने मांग की है कि राज्य सरकार बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए अविलम्ब बाढ़ से निपटने एवं इसके रोकथाम हेतु ठोस कार्ययोजना बनाये तथा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में आये भीषण बाढ़ के प्रकोप से प्रदेश की जनता को बचाने हेतु जिले के अधिकारियों को निर्देशित करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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