रामपुर के उद्योगपति ने प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री आजम खां के ऊपर बार-बार प्रताडि़त करने तथा आत्महत्या करने पर विवश करने के आरोप लगाये हैं। जिससे यह साबित हो गया है कि प्रदेश के मंत्री सत्ता को साधन नहीं साध्य मान बैठे हैं। यही कारण है कि उनके आचरण की खबरें बार-बार मीडिया में आने के बाद भी सरकार उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पाती और उनके सामने घुटने टेक देती है। जो किसी भी चुनी हुई सरकार और लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक स्थिति है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि रामपुर के उद्योगपति ने जिस तरह से खुलेआम अपने उत्पीड़न की दास्तान बयान करते हुए कहा कि ‘‘उनके कारण मुझे आत्महत्या करने पर विवश होना पड़ सकता है’’, यह प्रकरण काफी गंभीर है और यह मामला और भी काफी गंभीर हो जाता है जब प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री पर इस तरह के आरोप लगते हैं और सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ और असहाय दिखाई पड़ती है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री आजम खां ने पहले सार्वजनिक तौर पर अधिकारियों की पिटाई करने की बात कीं। इतना ही नहीं उन्होने जिस तरह से बार-बार अधिकारियों को अपमानित किया, यह बहुत ही दुःखद है। सत्ता के मद में चूर श्री आजम खां को यह भी ज्ञात नहीं है कि किसी अन्य प्रदेश की सरकार के लिए किस भाषा का प्रयोग उन्हें करना चाहिए। यही कारण है कि उन्होने जिस तरह से उत्तराखण्ड की सरकार को ‘‘ईडियट’’ शब्द से संबोधित किया, उनकी कुत्सित मानसिकता और लोकतंत्र में उनके तुच्छ नजरिये को दर्शाता है। राजनीति में भाषा की मर्यादा की अपेक्षा होती है और इसका प्रयोग किसी भी इंसान को बड़ा तथा छोटा बनाता है।
श्री त्रिपाठी ने कैबिनेट मंत्री श्री आजम खां द्वारा अपनी भाषा से बार-लोगों को अपमानित करने तथा उद्योगपति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने के प्रकरण की जांच कराने तथा लोकतंत्र की मर्यादा हेतु सरकार की तमाम मजबूरियों के बादजूद भी उनकी भाषा पर नियंत्रण लगाने की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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