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लोकसभा चुनाव का मौसम आया तो बसपा, कांगे्रस और भाजपा सभी जातीयता और संाप्रदायिकता की राजनीति को हवा देने में लग गए हैं

Posted on 30 June 2013 by admin

समाजवादी पार्टी उ0प्र0 के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव का मौसम आया तो बसपा, कांगे्रस और भाजपा सभी जातीयता और संाप्रदायिकता की राजनीति को हवा देने में लग गए हैं। उत्तराखण्ड की भयानक त्रासदी और प्रदेश की जनता के आम सरोकारों की भी उन्हें परवाह नहीं है। इनके समस्त क्रियाकलाप सिर्फ समाजवादी पार्टी के खिलाफ हो रहे हैं। श्री अखिलेश यादव केे नेतृत्व में समाजवादी पार्टी सरकार की लोकप्रियता और कार्यदक्षता से उन्हें अपनी जमीन दरकती नजर आ रही है। इसलिए वे जाति और संप्रदाय की जहरीली राजनीति को हवा देने में लग गए हैं।
उत्तराखंण्ड की भयंकर विपदा के समय श्री अखिलेश यादव ने जहाॅ राहत कार्यो में बढ़कर मदद की वहीं बाकी दल विपक्ष की अपनी सामान्य भूमिका भी निभाने में पीछे रहे हैं। बसपा की इस त्रासदी पर कोई प्रतिक्रिया नजर नही आई। प्रदेष के हजारों पीडि़तों की दुुश्वारियों के प्रति बसपा अध्यक्ष को फिक्र नहीं हुई। केदारनाथ में जल प्रलय में अपनी जान गवांने वालों के लिए कोई हमदर्दी नहीं। कर्तव्य पालन में अपने षहीद जवानों के लिए भी उनकी आॅखों में एक आॅसू नहीं। भाजपा और कांग्रेस दोनों केदारनाथ के संकट के समय भी अपनी राजनीति करने से बाज नहीं आए और परस्पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह चुरा रहे हैं।
केन्द्र की कांगे्रस सरकार मंहगाई बढ़ा रही है। कांगे्रस का हाथ अब आम आदमी के साथ न होकर पूंजी घरानों के लिए वरदहस्त हो गया है। उत्तर प्रदेश की समस्याओं से ध्यान हटाकर कांगे्रस प्रदेश में अल्पसंख्यक सम्मेलन कर मुस्लिमों को गुमराह करने के खेल में लग गयी है। खुद केन्द्र की कांगे्रस सरकार ने सच्चर कमेटी बनाई थी जिसने अपनी रिपोर्ट में मुस्लिमों की हालत दलितों से बदतर बताई। रंगनाथ मिश्र आयोग भी कांगे्रस ने बिठाया लेकिन उसकी सिफारिशें कूड़े के ढेर में डाल दीं। श्री मुलायम सिंह यादव ने संसद में जब इस बारे में सवाल उठाए तो प्रधानमंत्री तक जबाब टाल गए। मुस्लिमों की घोर उपेक्षा करने वाले और बाबरी मस्जिद ध्वंस में भाजपा के सहयोगी कांगे्रस नेता अब मुस्लिमों को बरगलाने के काम में लग गए हैं। गोकि मुस्लिम समाज उनके बहकावे में आने वाला नहीं हैं। उसे कांगे्रस की हकीकत पता है।
कांगे्रस और भाजपा से समान रिष्ता जोड़े रखने वाली बसपा को अब ब्राह्मणों की चिंता सताने लगी है। बसपा में ब्राह्मण का अर्थ केवल एक परिवार तक सीमित है और बाकी सब ब्राह्मण उपेक्षा तथा अपमान के पात्र हैं। बसपा सरकार में ब्राह्मणों को पूरे पाॅच साल हाशिये पर रखकर अब लोकसभा चुनाव में बतौर वोट बैंक उन्हें फिर बटोरने का काम किया जा रहा है। लेकिन अब ब्राह्मण हाथी का साथी बनने को तैयार नहीं है। बसपा राज में सर्वाधिक पीडि़त ब्राह्मण ही रहे हैं।
उत्तर प्रदेश का यह दुर्भाग्य है कि इन्हीं विपक्षी दलों के राज में यहाॅ विकास की राजनीति उपेक्षित रही है और यथास्थितिवादी, जातिवादी तथा सांप्रदायिक तत्व हावी रहे हैं। श्री अखिलेश यादव ने विकास के  एजेंडा पर काम षुरू किया तो विपक्ष रचनात्मक विरोध की जगह विरोध के लिए विरोध की राजनीति पर उतर आया है। श्री मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश को आदर्श प्रदेश बनाने का सपना देखा था, उसको जमीनी हकीकत में बदलने का काम समाजवादी पार्टी की सरकार कर रही है। जो समाज को बाॅटने का काम कर रहे हैं, उन्हें जनता पहले भी नकार चुकी है और अब आगे उन्हें सत्ता के करीब भी नहीं पहुॅचने देगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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