समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि पिछले कई चुनावों में करारी हार के बाद भाजपा और कांग्रेस ने मान लिया है कि अब उत्तर प्रदेश में अपनी बची-खुची साख बचा पाना भी सम्भव नहीं है। इन पार्टियों की पहचान सिर्फ इनके दफ्तरों में लटके साइनबोर्डो तक रह गई है। कुंठित नेताओं ने संगठन की बागडोर अब एक दूसरे प्रदेश गुजरात के नेताओं को सौंप दी है। इन आयातित नेताओं को जब तक उत्तर प्रदेश का भूगोल-इतिहास समझ में आएगा तब तक लोकसभा चुनाव के बाद विधान सभा के चुनाव भी सिर पर आ जाएगें।
उत्तर प्रदेश में गुजरात के दांडिया नाच से दर्शकों की भीड़ तो आ सकती है किन्तु उससे कांग्रेस और भाजपा की सीटें नहीं आ सकती हैं। दोनों ही पार्टियों की जमीन छिन चुकी है और अब उनके नेताओं के पास हवा-हवाई दावांे और बयानबाजी के अलावा कुछ शेष नहीं बचा है। उनकी स्थिति चुनावो में जमानत जब्त कराने की बन गई है। रिमोट से प्रदेश में इन दलों की गाड़ी आगे बढ़नेवाली नहीं है।
भाजपा और कांग्रेस का यह गठजोड़ प्रदेश के 20 करोड़ लोगों की कभी पसंद नहीं बन सकता है। दोनों ही दलों की आर्थिक नीतियां एक हैं। दोनों ही पूंजीघरानों के संरक्षक और अमरीका परस्त विदेशी नीति के पक्षधर हैं। पिछड़ों, किसानों, महिलाओं और गरीबों के लिए उनकी कोई नीति नहीं है। गरीबी हटाओं का कांग्रेस का नारा गरीबों को हटाओं में बदल चुका है और कांग्रेस का हाथ अब आम जनता के साथ नहीं रह गया है। भाजपा मंहगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से मुंह चुराती रही है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों की नीतियां मुस्लिम विरोध पर भी एक जैसी है। आजादी के 66 वर्षो में कांग्रेस केन्द्र और राज्यों में कई दशकों तक सत्तारूढ़ रही है। केन्द्र में तो आज भी उसकी सरकार हैं। सच्चर कमेटी, जिसका गठन स्वयं कांग्रेस ने किया, की रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकारे जब क्रमशः उत्तर प्रदेश और केन्द्र में थी, तब अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई। भाजपा शासित गुजरात में मुस्लिमों का बुरी तरह कत्लेआम हुआ और इसके लिए दोषी को ही अब राष्ट्रीय स्तर पर नेता बनाकर पेष करने की साजिशें हो रही है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों के शासनकाल में गरीबों, पिछड़ों, किसानों और मुसलमानो को सर्वाधिक दुश्वारियां उठानी पड़ी हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार और श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में उक्त सभी वर्गो का गहरा विश्वास रहा है। श्री मुलायम सिंह यादव ही धर्मनिरपेक्ष ताकतो के रहनुमा हैं। समाजवाद, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की आधारशिला पर भाजपा और कांग्रेस से अलग तीसरी ताकत का उदय राजनीति की नई सम्भावना है। आगामी लोकसभा चुनावों में जनता विघटनकारी और अलगाववादी ताकतों को जबर्दस्त शिकस्त देगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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