जनपद मे हजारो की सख्या में तैनात सफाई कर्मी बिना काम के वेतन वसूल रहे है और उन्ही की आढ़ मे इनको मिलने वाली सफाई किट के धन को अधिकारी हडप कर रहे है ।सरकार को प्रति माह लाखो का चूना लग रहा ह ।
हैरत है कि सरकार मूक और बधिरो की भांति अपने अधिकारियों की बात पर आख मूंद कर भरोसा कर रही है उसी का नतीजा है प्रतिवर्ष करोड़ो का राजस्व नुकसान वही दूसरी ओर कई अन्य विभाग को सरकार के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय कार्यव्रहृमो का संचालन कर रहे है और सरकार को मन्सूबे को शत प्रतिशत पूरा कर रहे है । उन्हे बीते दशक से मामूली मानदेय ही दिया जा रहा है उन्हे नियमित करने की कोशिश तक सपा सरकार नही कर रही है । जिले के राजस्व ग्रामो समेत ग्रामीणांचलो मे बने पंचायत घर, विद्यालय, गांव की गालियां, नाली, की सफाई के लिये बसपा सरकार ने हजारो की संख्या में सफाई कर्मी तैनात किये थे ।
मकसद चाहे जो रहा हो । इन सफाई कर्मियों को १० से १५ हजार वेतन प्रतिमाह प्रहृी में सरकार दे रही है । ये सफाई कर्मी ऐेसे है जिनका सफाई से दूर दूर का नाता नही है ये ऐसे घरो के पाल्य है जिनके घरो में स्वयं नौकर तक लगे है । जींस टी शर्ट बाईक पर लफदक चलने वाले सफाई कर्मी पैसा लेकर बना दिये गये है और आज भी ये पैसा देकर अपनी जगह काम करवाते है । स्वयं कभी घर मे झाडू नही लगाया मगर है सफाई कर्मी इनमें से ज्यादा तर अपने वेतन से हजारो रुपये बेगारी न करने के लिये डी.पी.आर.ओ. कार्यालय समेत अधिकारियों को प्रतिमाह देते है ।
कुछ खंड विकास कार्यालय पर दूसरे दूसरे कर्यो मे जुटे है कुछ कम्प्यूटर चला रहे है । तैनाती वाली जगह पर जाते ही नही इनमें कुछ महिला सफाई कर्मी है जिन्हे देखकर कह नही सकते सफाई कर्मी । इन्हे मिलने वाली वर्दी, साबुन, कूडे की गाडी, झाडू, पंजा, ब्लीचिंग पाउडर, फेनायल की वर्षो से फर्जी सप्लाई सिर्फ कागजो पर हो रही है । सफाई किट न सफाई कर्मी लेना चाहते है न महकमें के अधिकारी देना चाहते है फर्जी रिसीविंग पर हस्ताक्षर कर लाखो का गोलमाल हो रहा है ।
जबकि गांवो में मौसमी संव्रहृामण से बीमारियां फैल रही है मगर सफाई कर्मी गायब है । ग्रामीणो ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वास्तविक सफाई भर्ती करें जो कि पुस्तैनी सफाई का अनुभव रखते हो जिससे जनता का व सरकार का मंसूबे पूरे हो सके ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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