शहर के रामलीला मैदान में पण्डित रामअवध मिश्रा गोरक्षा एवं जनकल्याण समिति द्वारा आयोजित रामकथा में स्वामी ज्ञानेश्वरानंद ने लंका काण्ड पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवती किशोरी जी लक्ष्मी का अवतार है उनको रावण द्वारा दिखाये गये स्वर्ण आभूषण के सब्जबाग नहीं आकर्षित कर सकते। हनुमान जब माॅ सीता से आर्शिवाद लेकर जाने को तैयार हुए तो माॅ ने कहा कि प्रभु को याद दिलाना जब इन्द्र के पुत्र जयन्त ने मुझे प्रहार करके घायल कर दिया था। उस समय प्रभु ने उस पर तृण का वाण बनाकर छोड़ा था उसे तीनों लोकों में कही स्थानी मिला था। उसी तरह लंकापति का हाल हो। जब अहम समाप्त होता है तभी परमात्मा का साक्षात्कार होता है। जब कल करीब में होता है उस क्षण मानव इनके पास जाने के लिए व्याकुल होता है।
इसीक्रम में नौवे दिन स्वामी ज्ञानेश्वरानंद ने लंका दहन पर चर्चा करते हुए कहा जब हनुमान अशोेक वाटिका में माता सीता से फल खाने की आज्ञा मांगे तब मॅं ने कहा मात्र जमीन पर गिरे हुए फल खाना शक्ती का सूत्र है किसी को परेशान करके मत खाओं। हनुमान के आॅखों में इतना तेज था जिसे देखकर राक्षस भय ग्रस्त हो गये इनकी पिटाई से वह भी सीता राम नाम का कीर्तन करने लगे। माया के चक्र में पड़ने वाले को कभी तृप्ती नहीं मिल सकती। कथा समापन अवसर पर अध्यक्ष ओमप्रकाश मिश्रा ने कहा सामाजिक नैतिक उत्थान की मंशा से रामकथा का आयोजन समिति द्वारा किया जाता है उन्होंने कथा में सहयोग करे वाले समस्त कार्यकर्ताओं एवं श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर ओमप्रकाश मिश्रा, दीपक मिश्रा, अजय श्रीवास्तव, दिलीप मिश्रा, दीपक मिश्रा, अजय तिवारी, मालती तिवारी, प्रेमशंकर शुक्ल, जमुना मिश्रा, दीप चन्द्र, ओम रावत, बसन्त तिवारी, सतीश तिवारी समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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