16.06.2013
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कांगे्रस अब पूरे तौर पर पूंजी घरानों के चंगुल मंे हैं। आम जनता की उसे कोई परवाह नहीं है। मंहगाई केन्द्र में कांगे्रस सरकार की पर्याय बन गई है। जब से यू0पी0ए0 सरकार बनी है मंहगाई और भ्रष्टाचार की मार से जनता तबाह हो रही है। पेट्रोल की कीमत इस साल जनवरी के बाद पंाच बार बढ़ी है और अब प्राकृतिक गैस के साथ चीनी को मंहगा करने की केन्द्र सरकार की योजना बन रही है। लगता है कि कांगे्रस अगले लोकसभा चुनावों के लिए संसाधन जुटाने के काम में लग गई है।
पेट्रोल के दाम षनिवार को मध्य रात्रि से दो रूपए प्रति लीटर बढ़ा दिए गये हैं। यह दिखावे के लिए है। चूंकि दो रूपए की वृद्धि में स्थानीय बिक्रीकर अथवा वैट शामिल नहीं है इसलिए वास्तविक मूल्य वृद्धि इससे ज्यादा होगी। वेैसे इस महीने की शुरूआत में (1 जून से) तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में 75 पैसे की वृद्धि की थी। तेल कंपनियाॅ जल्दी ही डीजल, मिट्टी का तेल और रसोई गैसे के दाम भी बढ़ा दें तो आष्चर्य नहीं होगा। फिलहाल पेट्रोल के दाम बढ़ने से परिवहन मंहगा होगा तो खाद्य वस्तुओं के भाव भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। ऐसे में मंहगाई और विकराल रूप लेगी।
संकेत मिल रहे हैं कि केन्द्र सरकार प्राकृतिक गैस के दाम भी बढ़ाने जा रही हैं जिसके लिए गुरूवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमण्डलीय समिति की बैठक हो रही है। प्राकृतिक गैसे की कीमत मौजूदा 4Û2 प्रति गैस यूनिट से बढ़ाकर 6Û7 प्रति डालर गैस यूनिट करने का विचार है, जिसके पक्ष में तर्क है कि इसका रिफाइनरियों के भविष्य पर असर पड़ेगा।
केन्द्र सरकार ने गन्ना किसानो के हित की बात कभी सोची नहीं नतीजा गन्ना बुबाई घटने से चीनी उत्पादन में कमी आना स्वाभाविक है। बजाय गन्ना किसानों केा लाभ पहुॅचने के कांगे्रस ने चीनी को ही मंहगी करने का नुस्खा अपना रखा है। उसे किसान से ज्यादा चीनी मिल मालिकों के मुनाफे की चिंता है। इनके दबाब में ही चीनी आयात को मंहगा करने का विचार है।
जिस तरह की राजनीति केन्द्र सरकार की है उससे आंशका हेाती है कि कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियाॅ और तेल आयातक देश इस बात का दबाव डाल रहे हैं कि भारत में तेल उत्पादन को बढ़ावा न मिले। भारत में तेल की माॅग बढ़ती जाने से विश्व बाजार में इसका विशेष स्थान है। इसलिए लगता है कि तेल उत्पादक देश भारत में तेल उत्पादन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में पलीता लगाने के इच्छुक है।
समाजवादी पार्टी ने इसीलिए हमेशा गाॅधी जी का स्वावलम्बन और डा0 लोहिया के दाम बाॅधों नीति को आगे बढ़ाया है। श्री मुलायम सिंह यादव इस मासले पर संसद में कई बार केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं। लेकिन समाजवादी नीतियों से हटकर काम करने वाली कांगे्रस को आम आदमी की नहीं, बड़े घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों की ज्यादा चिन्ता भारतीय अर्थ व्यवस्था के लिए आत्मघाती सिद्ध होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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