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विद्युत नियामक आयोग द्वारा घोशित बिजली दर पर उपभोक्ता परिशद की आपत्ति

Posted on 09 June 2013 by admin

असंवैधानिक रूप से विगत दिनों उ0प्र0विद्युत नियामक आयोग द्वारा घोशित बिजली दर पर आज उपभोक्ता परिशद ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए विद्युत अधिनियम 2003 में संषोधन हेतु एक प्रस्ताव केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग व फोरम आफ रेगुलेटर के चेयमैन डा0 प्रमोद देव को भेजा। साथ ही उ0प्र0विद्युत नियामक आयोग को फोरम आफ रेगुलेटर की सदस्यता से भी जनहित में निलम्बित करने की मांग भी उठायी।

उ0प्र0राज्य विद्युत उपभोक्ता परिशद अध्यक्ष व सदस्य राज्य सलाहकार समिति अवधेष कुमार वर्मा ने आज केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन डा0 प्रमोद देव को एक प्रस्ताव भेजते हुए यह मांग उठायी कि उत्तर प्रदेष में यू0पी0विद्युत नियामक आयेग द्वारा प्रदेष के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ अन्याय करते हुए असंवैधानिक कार्यवाही के तहत उनकी बिजली दरो में व्यापक बढोत्तरी की गयी है।  एक ही कन्सलटेन्ट जो पावर कारपोरेषन में भी बिजली दर प्रस्ताव को बनाने में अन्तिम रूप दिया उसी कन्सलटेन्ट से आयोग ने भी बिजली दर निर्धारण को अन्तिम रूप दिलाया और सरकार के दबाव में अन्ततः बिजली दर को घोशित कर दिया गया जो उत्तर प्रदेष के इतिहास का पहला मामला है इसे उदाहरण मानते हुए केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-79 (2) व (4) के तहत केन्द्र सरकार को यह प्रस्ताव/सुझाव भेजना चाहिऐ कि विद्युत अधिनियम 2003 में अविलम्ब यह संषोधन किया जाये कि किसी भी समय यदि यह तय हो जाता है कि आयोगो  में बिजली दर को निर्धारण में सहयोग करने वाला व बिजली कम्पनियों में बिजली दर को निर्धारण में सहयोग करने वाला कन्सलटेन्ट एक ही है तो ऐसी घोशित बिजली दर निरस्त मानी जायेगी का स्पश्ट प्राविधान संषोधन के माध्यम से हो क्योंकि यह कृत अधिनियमों, नियमों व टैरिफ पोलिसी के विपरीत है और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।

उपभोक्ता परिशद ने फोरम आफ रेगुलेटर से यह मांग भी की है कि चूंकि उ0प्र0 नियामक आयोग द्वारा बिजली दर प्रक्रिया को असंवैधानिक तरीके से तय किया गया जिससे रेगुलेटर की गरिमा को ठेस पहुँची है और उ0प्र0का सिर पूरे देष में झुका है यह कृत विद्युत अधिनियम 2003 के प्राविधानो के विपरीत है इसलिए फोरम आफ रेगुलेटर को उ0प्र0विद्युत नियामक आयेाग को फोरम आफ रेगुलेटर की सदस्यता से निलम्बित करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि इस घटना से पूरे देष के रेगुलेटरी सिस्टम की पारदर्षिता पर एक नयी बहस षुरू हो गयी है।

उपभोक्ता परिशद अध्यक्ष ने पुनः यह बात दोहरायी कि उपभोक्ता परिशद की यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक असंवैधानिक रूप से बनायी गयी बढ़ी बिजली दर से सरकार द्वारा जनता को राहत नहीं दी जाती।  सरकार के दबाव में जिस तरह नियामक आयोग द्वारा एक ही कन्सलटेन्ट के माध्यम से कार्यवाही की गयी यह मैच फिक्सिंग की तरह टैरिफ फिक्सिंग का मामला है इसलिए जनहित में वर्तमान कानून में बदलाव की जरूरत है।  उपभोक्ता परिशद प्रदेष के मा0 मुख्यमन्त्री महोदय से इस गम्भीर मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने की मांगी की है क्योंकि पूरे प्रदेष की जनता की नजर इस समय मा0 मुख्यमन्त्री की ओर लगी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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