लखनऊ- समाज वादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने आरोप लगाया है कि सुश्री मायावती को मुख्यमन्त्री की कुर्सी क्या मिल गई वे अपने को यूपी को अपनी जागीर मानकर बर्ताव करने लगी हैं। उनका हुक्म ही कानून है और उनकी इच्छा से ही शासन प्रशासन चलेगा ऐसा मानकर वे चल रही है। आम आदमी की जिन्दगी तो हर वक्त खौफ के सायें में है। उसकी हिफाजत वे अपना फर्ज नहीं समझती है। वे 53 करोड़ रूपए खर्च कर एक नया सुरक्षा बल बनाने का विधेयक लाई हैं जिसका काम उनके बनवाए पार्को, स्मारकों और उनके सरकारी आवास तथा उनकी मूर्तियों की सुरक्षा करना होगा। इसके लिए उन्हें विशेष परिक्षेत्र घोषित किया गया है। इस पर सलाना 14 करोड़ रू0 का खर्च होगा।
मुख्यमन्त्री अभी तक तो दलित महापुरूषों के सम्मान की बातें करती थीं, उनकी स्मृति में अरबों रूपए खर्च करने में उन्होने खूब दरियादिली दिखाई। लेकिन अब उनके साथ अपनी मूर्तियों तथा अपने आवास को भी विशेष परिक्षेत्र में जोड़कर उन्होने साबित कर दिया है कि वे अपने को दलितों या जनता की सेवक नहीं इस प्रदेश की मालिक समझती है, जिनका आवास भी डा0 अम्बेडकर के स्मृति स्थल जितना महत्व मिलना चाहिए। जिन्दा रहते अपनी प्रतिमा सरकारी पैसे से लगवाने वाली मायावती का यह नया खेल आपातकाल से भी बुरे दिन के आने का संकेत देता है।
मायावती वस्तुत: हीनभावना से ग्रस्त हैं। वे आश्वस्त है कि जनता उन्हें सम्मान नही देगी और नहीं याद करेगी, इसलिए वे स्वयं अपनी मूर्तियां स्थापित कराकर उनकी सुरक्षा के लिए चिन्तित हैं। इतना ज्यादा भयभीत हैं कि इस विशेष परिक्षेत्र में बिना वारंट तलाशी लेने और किसी को गिरफ्तार करने का भी अधिकार सुरक्षा बल को दे रही हैं। उत्तर प्रदेश अपराधों और मानवाधिकारों के हनन के मामलों में वैसे भी शीर्ष पर है। यहां जंगलराज के चलते कोई भी सुरक्षित नहीं है। स्वयं बसपा के कई मन्त्री, विधायक और सॉसद बलात्कार तथा हत्या के मामलों में फंसे हुए हैं। पंचम तल से अधिकारियों को चुनाव में मतपत्र लूटने, वसूली बढ़ाने तथा जमाखोरो, मिलावटखोरों को संरक्षण देने के निर्देश मिलते रहते हैं।
पिछले ढाई सालों में बसपा की प्रदेश सरकार ने विकास के किसी काम को तरजीह नहीं दी है। किसानों पर कर्ज लदा है, नौजवान बेकारी का शिकार है, महिलाओं का दिन में भी सड़क पर निकलना दूभर हैं, अल्पसंख्यकों को आतंकवादी बताकर उत्पीड़ित किया जाता है, सरकार का इन पर ध्यान नहीं है। सिर्फ पत्थरों से बने स्मारकों और मायावती को अपनी ही फिक्र है। अभी उनके आवास को भी लाखों रुपये से बुलेट प्रूफ बनाया जाना है। अब उसे जनता के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने की साजिश हो रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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