30 मई 2013 भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा लोकप्रिय नेता सांसद वरूण गांधी के विरूद्ध समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा लिया गया फैसला एक खास वोट बैक की राजनीति से प्रेरित है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सहसंयोजक(खेलकूद प्रकोष्ठ) नरेन्द्र सिंह राणा ने सरकार के निर्णय को द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा कि सरकार ने अपने इस फैसले से पुनः सिद्ध कर दिया कि वह औरंगजेब कीअसली वारिस है। औरंगजेब के समय प्रतिदिन सवामन जनेऊ उतार कर जलाया जाता था। उस समय के शासन में और इस समय के शासन में अनेकों समानताये देखने को मिल रही है। वह भी हिन्दुओं के विरूद्ध था और यह सरकार भी कमोबेश अपना वैसा ही चेहरा बनाती जा रही है। हिन्दुओं की बेटियां सरकारी सहायता नही पायेंगी। हिन्दुओं के शमशानघाट की चारदिवारी नही बनेगी। बेगुनाहो को मारने वाले आतंकी छोड़े जायेंगे, उन्हे मुआवजा दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि मायावती सरकार के समय भाजपा सांसद वरूण गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने पर कार्रवाई हुई थी। कोर्ट मे यह सिद्ध हो चुका है कि उनकी आवाज वाली सी0डी0 से छेड़छाड़ की गई है। उनकी आवाज बदली गई है। अतः कोर्ट ने वरूण गांधी को दोषमुक्त करार दिया। लेकिन सपा सरकार को अदालत का निर्णय हजम नही हुआ। लाख टके का सवाल यह है कि उस समय सपा ने बसपा के हर निर्णय को राजनीति से प्रेरित बताते हुए तानाशाही का परिचायक बताया था। अब यह सरकार अपने कहे से पीछे क्यों हट रही है? देश तथा प्रदेश की जनता सब समझ रही है। भाजपा सरकार के जनविरोधी नीतियों का विरोध करती रही है, करती रहेंगी। वरूण गांधी तथा भाजपा नेता पुनः अदालत से निर्दोष साबित होगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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