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बसपाराज में राजधानी लखनऊ तथा नोएडा में दलित महापुरूशों के नाम पर अरबों़ रूपए की लागत से पार्क तथा स्मारक बने

Posted on 28 May 2013 by admin

27.05.2013

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपाराज में राजधानी लखनऊ तथा नोएडा में दलित महापुरूशों के नाम पर अरबों़ रूपए की लागत से पार्क तथा स्मारक बने जिनमें काफी खाली जगह है। इनके सदुपयोग की समाजवादी पार्टी की सरकार की योजना पर बसपाइयों का आक्रोश पूर्णतया जनविरोधी और अनुचित है। ऐसा लगता है जैसे बसपा ने उत्तर प्रदेश को अपनी जागीर मान लिया है जबकि पार्क और स्मारक बसपा मुख्यमंत्री की निजी जायदाद नहीं हैं। समाजवादी पार्टी का मानना है कि जनता की जनता के लिए बनी सरकार का काम जनहित में होना चाहिए। बसपा ने अनुत्पादक मदों में जनता की गाढ़ी कमाई लुटाकर जनता के साथ धोखा किया है। लोकायुक्त की जांच में बसपा मंत्रियों सहित 199 को घोटाले में लिप्त पाया गया है।

बसपा नेताओं के कुत्सित इरादों को समझकर ही जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया है। दलित महापुरूषों के नाम पर पांच साल तक लूट मची रही और कमीशनखोरी होती रही। इससे ज्यादा घटिया और अलोकतांत्रिक काम और क्या होगा कि बसपा मुख्यमंत्री ने जनता की गाढ़ी कमाई से अपनी प्रतिमाएं लगवाई। प्रदेश में विकास के सारे काम ठप्प रहे। बसपा की भ्रष्ट सरकार की वजह से पूरे देश में प्रदेश की बदनामी हुई।

समाजवादी पार्टी बसपा की तरह बदले की भावना से काम नहीं करती है। दलित महापुरूषों की प्रतिमाएं यथावत हैं। स्मारकों-पार्को की खाली पड़ी जमीन के सद्उपयोग पर क्योंकर आपत्ति होनी चाहिए?

लोकराज बिना लोकलाज के नहीं चलता है। बसपा राज में लोकतंत्र की सारी मर्यादाएं ध्वस्त हुई। राजकोष का दुरूपयोग निजी स्वार्थपूर्ति में किया गया। बिजली-पानी-सड़क के बजाय पत्थर के हाथियों की सजावट पर जनधन का अपव्यय किया गया। जिस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में दलित बच्चियों के साथ बलात्कार होते रहे और जिनके घर के दरवाजे कभी दलितों के लिए खुले नहीं उनका दलित महापुरूषों के सम्मान के बारे में कुछ भी बोलना असंगत और अनर्गल है।

बसपा नेताओं की बुद्धिमत्ता का इससे भी अंदाजा होता है कि वे समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के पहले दिन से ही इसकी बर्खास्तगी की मांग करने लगे हैं। संविधान में इसकी निश्चित व्यवस्थाएं है। लेकिन जो कानून व्यवस्था से ही खिलवाड़ करते रहे हैं और संविधान तथा न्यायपालिका की अवमानना करते रहे हैं उन्हें लोकतांत्रिक प्राविधानों की क्या समझ हो सकती है? बसपा नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि वे चाहे जितना हल्ला मचाएं प्रदेश में अब कानून का ही राज चलेगा। राजकोष लूट की यहां कोई गुंजाइश नहीं है। सत्ता के दुरूपयोग का खमियाजा बसपाइयों को भुगतना ही पड़ेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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