- कहाकि अगर अयोध्या की घटना व गुजरात में हुए कत्ल-ए-आम के समय केंद्र की सरकारें मूकदर्शी न बनी रहतीं तो आज यह दुखद घटना न हुई होती
26 मई, 2013
छत्तीसगढ़ में कल शाम हुए नक्सली हमले में कई लोगों की मौत पर अपने गहरे रंज-ओ-गम का इजहार करते हुए उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खां ने इस हमले के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराया है। आज यहाँ जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि यह हमला राज्य व केंद्र सरकार दोनों के खुफिया तंत्र की घोर अक्षमता व असफलता का परिचायक है।
अपने बयान में श्री आजम खां ने केंद्र सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा है कि जो सरकार इस हमले में अपनी पार्टी के बड़े-बड़े लोगों की हिफाजत न कर सकी वह भला देश की असहाय जनता की हिफाजत कैसे कर पायेगी। उन्होंने कहा कि यह भयावह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि छत्तीसगढ़ व केंद्र सरकार दोनों ने ही कोई ऐसे आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक कदम नहीं उठाये हैं जिनसे नक्सली जैसे भटके हुए लोगों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ कर सुख-शांति को बनाये रखा जाये।
श्री खां ने कहा कि 1992 में जब अयोध्या का वाकया हुआ और जब गुजरात में कत्ल-ए-आम हुआ तब उस समय की केंद्र सरकारें खामोश तमाशाई बनी रहीं। लोगों की जान जाती रहीं, संपत्तियां जलाई जाती रहीं लेकिन उनके मुंह से उफ तक न निकली। आज जब केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के कुछ बड़े लोगों को इस नक्सली हमले में अपनी जान गंवानी पड़ी तो उस पार्टी की आलाकमान के लोगों के हमदर्दी भरे बयान आने लगे हैं, जबकि इस घटना के लिए भी ये लोग उतने बड़े जिम्मेदार हैं जितने कि ये लोग अयोध्या की घटना व गुजरात के कत्ल-ए-आम के लिए जिम्मेदार रहे हैं। अगर उस समय ये लोग मूक दर्शक न बने रहे होते तो आज यह दुखद घटना न हुई होती। इन लोगों की खामोशी आग में घी का काम करती है और साथ ही ऐसी काबिल-ए-मजम्मत घटनाओं को अंजाम देने के लिए शर-पसंदों की हौसला-अफजाई भी करती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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