भारतीय जनता पार्टी ने कहा कानून व्यवस्था ठीक किए बगैर चाहे जितने उद्यमिता महासम्मेलन कर लिए जाये। प्रदेश के विकास के दावे खोखले ही रहेंगे। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि आज उद्यमियों के सामने जिस तरह सरकार की तबादला नीति, सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हुए उससे सरकार की पोल खुल गयी, रही सही कसर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम कें बाहर पुलिस-पुलिस संघर्ष ने खोल दी। मुख्यमंत्री ने आज फिर अपनी नाकामियों का ठिकरा अफसरों पर फोड़, चेतावनी जारी कर काम चला लिया।
प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर संवादाताओं से चर्चा में प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि खराब कानून व्यवस्था के कारण निवेशकों का भरोसा जीतने में नाकाम अखिलेश सरकार के सामने उद्यमियों ने उ0प्र0 का जो चित्रण किया वह अपने आप में पर्याप्त है। मुख्यमंत्री के सामने उद्यमियों ने सरकार की तबादला नीति से लेकर अफरशाही के काम-काज पर सवाल उठायें। लम्बित प्रकरणों का हवाला देते हुए उद्यमियों ने मुख्यमंत्री के सामने कहा कि हैसियत देखकर यहां काम के दाम लगाएं जाते है। राज्य में भ्रष्टाचार का आलम है कि बगैर पहुंच के जायज काम तक नही निपट रहे है। नौकरशाही मे अस्थिरता है परिणाम यह है कि जब तक एक काम परवाना चढ़ता है पता लगा अफसर बदल गये।
उन्होंने कहा कि आगरा पार्टनरशिप समिट को निवेशकों के सबसे बड़े सम्मेलन का दावा किया गया। किन्तु वास्तविक्ता है कि सरकार गठन के बाद राज्य में करीब 25 फिसदी छोटे एवं मझोले उपक्रम(एसएमई) बंद हो चुके है। 25 प्रतिशत सरकार की नीतियों के कारण बंदी की कगार पर है। राज्य में नए निवदेशक नही आ रहे है। निवेशको को आकर्षित करने की लिए बड़े-बड़े दावे किये जा रहे है लेकिन निवेश के सूत्रधार की भमिका निभाने वाले औद्योगिक विकास महकमें में आस्थिरता के कारण निवेश आर्कषण की मूहिम ठप्प है, राज्य में बिजली संकट के कारण औद्योगिग ईकाईयां बंदी की कगार पर पहुंच रही है। स्पष्ट है कि डीजल के भरोसे इण्डस्ट्री नही चल सकती।
श्री पाठक ने कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था का आलम यह है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के ठीक बाद होता है। जो कुछ उद्यमियों के सामने घटित हुआ वो शर्मसार करने वाली घटना है। जब ये घटना हो रही थी तो वहां आलाधिकारी समेत अन्य पुलिस कर्मी भी थे पर बीच बचाव करने के बजाये बचते नजर आये। यह पूरे उत्तर प्रदेश की स्थिति है, पुलिस को या तो दबंग माफिया जीभर के पीट रहे है या फिर वो नीरीह लोगों को इसी बेरहमीं से वह पीट रही है और आला अधिकारी मौन की अवस्था में है आज जब ये घटना घटित हुई तो उद्यमियों ने कहा भगवान बचाये उत्तर प्रदेश में कौन आयेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था और बिजली संकट सरकार की नीति और नीयत के कारण ठीक नही हो पा रही है। सरकार को इन्हें ठीक करने के लिए दृढ इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने आगरा समिट के दौरान भी भरोसा दिलाया था पर इतने दिन बितने के बाद वो भरोसा दिखा नही। आज फिर उन्होंने भरोसा दिलाया हर बार की तरह अधिकारियों के कार्यशैली पर चेतावनी भी दी और कहा कि लम्बित पत्रावलियों का जल्द निस्तारण किया जाये किन्तु जो पत्रावलियां उनके कार्यालय में लम्बित है उनका क्या होगा? पूरी सरकार के सामने सरकार के काम काज पर सवाल उठे। मुख्यमंत्री ने फिर भरोसा अलटीमेटम से काम चलाया। इन सम्मेलनों की सार्थकता और मुख्यमंत्री के भरोसे का तभी मतलब है जब वे अपने कहे कि विश्वनियता कायम कर सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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