उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि प्रदेश में अभिनव योजनाओं में सिप्सा के ट्रांजिशन प्लान के अन्तर्गत मुख्यतः पाइलट परियोजनाएं चलाकर धनराशि का व्यय किया जाएगा तथा जिन योजनाओं में सफलता प्राप्त होगी उसे पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर लागू किया जायेगा। यूएसएड द्वारा संचालित आई0एफ0पी0एस0 परियोजना की समाप्ति के उपरान्त सिप्सा के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए ट्रांजिशन प्लान के अन्तर्गत परियोजना की अवशेष धनराशि रु0 187 करोड़ को आगामी 5 वर्षों में परिवार नियोजन एवं मातृ शिशु कल्याण की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत उपयोग करने हेतु योजनावार अनुमति प्रदान की जायेगी।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में सिप्सा की 25वीं गवर्निंग बाॅडी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिप्सा परिवार नियोजन एवं आर0सी0एच0 के क्षेत्रों में तकनीकी परामर्श एजेन्सी के रूप मे राज्य सरकार के लिए कार्य करेगी। इस हेतु इसे स्टेट टेक्नीकल सर्पोट यूनिट के रूप में जाना जायेगा।
श्री रंजन ने परिवार कल्याण के क्षेत्र में प्रदेश में गिरते हुए मानकों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि बढ़ती हुई जनसंख्या से जुड़ी समस्याओं को लगातार परिवार कल्याण के क्षेत्र में कार्य करते हुए सुलझाया जा सकता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि हर स्तर पर परिवार कल्याण की योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कराया जाय। उन्होंने कहा कि एनआरएचएम को तकनीकी सहायता देने हेतु सिप्सा द्वारा एक एम0ए0यू0 हस्ताक्षरित किया जायेगा जिसके अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं में एन0आर0एच0एम0 द्वारा परामर्श शुल्क भी दिया जायेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री प्रवीर कुमार, परियोजना निदेशक सिप्सा श्री अमित घोष, परामर्शी मुख्यमंत्री श्री आमोद कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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