लखनऊ- इंदिरानगर सेक्टर 9 स्थित ग्रायत्री ज्ञान मन्दिर ने युगऋशि वाण्ड्मय स्थापना अभियान के अन्तर्गत राजधानी लखनऊ के सीमापार पूर्वाचल के शहर गोरखपुर स्थित मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज के सन्दर्भ पुस्तकालय में ऋशि प्रणीत 156वां सम्पूर्ण वाड्मय स्थापित कराया।
यह स्थापना ग्रायत्री ज्ञान मन्दिर के सह-ट्रस्टी वी.के. श्रीवास्तव ने संस्थान के प्रचार्य डॉ0 बी.बी. सिंह के साथ विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्यों एवं उच्च तकनीकी शिक्षारत युवा विद्यार्थियों की उपस्थिति में दीप प्रज्जवलित कर सम्पन्न करायी। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ0 सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कि युगऋशि का साहित्य इस संस्थान में तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए विशेष लाभकारी होगा क्योंकि संस्थान द्वारा वाणिज्य शिक्षा तो दी ही जा रही है, इस आर्श साहित्य से नैतिक शिक्षा भी प्राप्त होगी जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य आवश्यकता है। नैतिकता के आधार पर ही कोई व्यक्ति, राष्ट्र, समाज को अन्तराष्ट्रीय क्षितिज पर पहुंचा सकता है। ऐसे कोई उदाहरण हमारे समक्ष मौजूद है। स्थापना हेतु वाण्ड्मय का सम्पूर्ण श्रीमती विभा श्रीवास्तव ने अपनी सारा स्व0 श्रीमती शिमला देवी श्रीवास्तव की पुण्य स्मृति में संस्थान को भेंट किया। इस अवसर पर उनके पति श्री वी.के. श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
वाण्ड्मय स्थापना के इसी क्रम में आई.आई.एम. लखनऊ के वरिष्ठ प्राध्यापक श्री एस.एस. सहाय ने सम्पूर्ण वाण्ड्मय अपेन निजी पुस्तकालय में स्वाध्याय एवं सन्दर्भ हेतु साग्रह स्थापित करवाया। यह व्यक्तिगत स्थापना उनके अपने कर्मक्षेत्र आई.आई.एम. लखनऊ के केन्द्रीय ग्रन्थागार कें सन्दर्भ स्वाध्याय के दौरान उभरी प्रेरणा का सत्परिणाम थी। युग ऋशि वाण्ड्मय स्थापना अभियान के संयोजक उमानन्द शर्मा एवं वी0के0 श्रीवास्तव ने बताया कि साहित्य युग ऋशि के जनम शताब्दी वर्ष 2011 तक विभिन्न क्षेत्रों के-धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शासक, प्रशासन, वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रबन्धन, प्रिन्ट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे महत्वपूर्ण 211 स्थानों के पुस्तकालय में स्थापित करने का लक्ष्य संकल्पित है ताकि विचार क्रान्ति अभियान का यह उपक्रम नवयुग का निर्माण कर सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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