२० मई । जनपद मे चल रही बाल विकास विभाग की योजनाएं धीरे धीरे फ्लाफ होती जा रही है चूंकि उ०प्र० सरकार ही स्वयं इस केन्द्रीय परियोजनाओं मे दिलचस्पी नही ले रही है ।
गौरतलब हो कि जिले मे बाल विकास विभाग की समेकित बाल विकास परियोजनाएं केन्द्र सरकार द्वारा बित्त पोषित है यहां तक कि परियोजनाओं के गांव गांव चल रहे केन्द्रो मे तैनात आंगन वाडी व सहायिकाओं का मानदेय व सेन्टर की सम्पूर्ण सामग्री केन्द्र सरकार ही देती है प्रदेश सरकार अपने नियमित कर्मचारियों अधिकारियों के जरिये ।
मगर इन गरीब महिलाओं का दोहन शोषण व केन्द्र धन के हडपने का येन केन रास्ता तलासती है उसे न तो जनता की चिन्ता है न योजनाओं के संचालन की ही फिव्रहृ बीते तीन माह से इन गरीब व अल्प मानदेय कर्रि्मयों को एक पैसा भी सरकार ने नही दिया । आंगन वाडियों के साथ साथ बच्चो को मिलने वाला पोषाहार तक बीते कई माह से गायब है कभी ३ बोरी कभी ५ बोरी ही दिया जा रहा है वो भी समय बेसक उस पर भी बच्चो को मिलने वाले हाट कुुक्ड का बजट ही नही है जो कई माह से बन्द चल रहा है सेंन्टरो पर वर्षो पूर्ण कुछ गिलास, टिफिन, कुर्सी, मेज, टाट पटटी दी गई थी जो कि कमी कि समाप्त हो चुकी है वर्तन नम की चीज शायद ही किसी सेन्टर पर दिखें वही मातृत्व लाभ योजना का फार्म तो जनता से भराया जाता है मगर पैसा उनके खाते मे कई माह से नही जा रहा है ।
गर्भावस्था मे पोषा आहारो के लिये बनी योजना बच्चे के मुंडन तक नही पूरी होती दिख रही है विभाग कहता है योजना का बजट नही है वही मुख्य सेविका और सी.डी.पी. ओ. इस योजनाओ मे दिलचस्पी नही दिखाती है कारण भी वाजिब है । जब इस विभाग द्वारा हाट कुक्ड मे आधा पैसा पोषाहार मे आधा पैसा मिलने वाली साडी मे आधी साडी सामानो के लिये आये फलेकसी एमाउंट मे पूरा पैसा वसूला जाता है तो इस योजना मे उनका हिस्सा क्यो नही मिलता यही कारण है कि योजना को सुपर फ्लाप कर दिया जाये ।
यही कारण है कि थोडा तुम लापरवाह बनो थोडा हम योजनाएं अपने आप फ्लाफ हो जायेगी । हालत यह है कि देहातो में चल रही योजनाओ की मानीटिरिंग करने वाली नियमित कर्मी सुपर वाईजर व सी.डी.पी.ओ. स्वयं माह मे केवल एक दिन वसूली मिटिंग मे ही दिखती है उन्हे स्वयं चल रहे सेंटर नही मालूम है न ही मुख्यालय छोड कोई गांव मे जाना चाहता है यही कारण है कि पूरी की पूरी योजनाएं बुरी तरह फलाफ होती जा रही है इससे निदेशालय व सरकार की मूकदर्शी बन सहयोग कर रही है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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