२० मई । नही समझ सकता हर कोई राजनीति के खेल निराले, जाने क्या क्या दिन दिखलायेंगें कुर्ता पैजामा वाले । कभी दलितो को साथ लिया कभी क्षत्रियों का गुणगान किया और अंत मे ब्राह्मणो को लुभाने के लिए प्रदेश की राजनैतिक पार्रि्टयों ने कमर कस लिया है । जनता करें तो क्या करे नेताओं द्वारा विभाजित होना और प्रताडित होना हमारा भाग्य बनता गया है ।
हम गौर करें कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सुलतानपुर की सरजमी पर कैसा चुनावी चक्रव्यूह रचा गया है राजनैतिक पार्टियों द्वारा तो आसानी से समझ सकते है कि पिछले चुनावों मे कौन छला गया था और इस चुनाव में कौन छला जाने वाला है । बसपा ने ब्राहम्ण समाज का वृहद सम्मेलन कराया और ब्राहम्णो को अपने पक्ष मे लाने की कोई कसर नही छोडा वही दूसरी ओर भाजपा की विशाल जनसभा ने भी सिद्ध कर दिया कि सुलतानपुर की जनता का भाजपा से मोहभंग नही हुआ है ।
देखा जाय तो ब्राहम्णो को अपने पाले मे लाने हेतु राजनेताओं में होड मच गई है । जनता बराबर परिवर्तन चाहती है भले बाद मे पछताना ही पडे जैसा उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के बाद कमोवेश हर कोई पछता रहा है । इन पक्तियों से पाठक गण बिल्कुल भी यह अंदाजा ना लगाये कि लिखने वाला किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित है जैसे प्रदेश के हालात है वही बयान किया जा रहा है चंद लुभावने वादे तो जरुर पूरे हुए लेकिन कानून व्यवस्था जिस तरह तार तार हुई बताने की जरुरत नही है ।
अपराधियों के हौसले बुलंद है किसी पर कोई लगाम कसने वाला नही है । कानून के रखवाले ही आज सुरक्षित नही है अपराधियों से तो सामान्य जनता की बात ही क्या । कमी कहां है गल्ती किसकी है भुगत कौन रहा है जैसे तमाम अनसुलझे सवाल है जबाब देने वाला कोई नही है । जनता का क्या है हमेशा छल का शिकार हुई है और आगे भी होते रहेगी कभी क्षेत्र के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर । राजनैतिक पार्रि्टयां कभी दलित मसीहा कभी क्षत्रिय मित्र तो कभी ब्राम्हण सहयोगी बनकर हम हिदुस्तानियों को बांटती रहेगीं और हम पर राज करती रहेगीं । यह कथन बिल्कुल भी इस प्रसंग मे गलत नही है कि राजनितिक पार्टियों की कारगुजारियों से आज एक भारत मे अनेक भारत बसते है । सोचकर देखिये सही और गलत आपके सामने है साथ आप किसका देगें यह आपको तय करना है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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