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सूफी-संत परंपरा और महापुरूषों के सम्मान पर आपत्ति ।

Posted on 20 May 2013 by admin

19.05.2013
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा कि आश्चर्यजनक है कि हिन्दुस्तान की सूफी-संत परंपरा और इस देश के महापुरूषों के सम्मान पर भी कुछ अज्ञानी आपत्ति उठाने में संकोच नहीं कर रहे हैं। अजमेर शरीफ में गरीब नवाज ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दुनिया भर के श्रद्धालु आकर सिर नवाते हैं। उनकी विश्व भर में मान्यता है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने चिश्ती अजमेरी के उर्स पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर समस्त सूफी परम्परा का सम्मान किया है। मुस्लिम उलेमाओं, इमामों और सज्जादानशीनों ने श्री मुलायम सिंह यादव से मिलकर इसके लिए उन्हें मुबारकवाद दी है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश में उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय का नाम भी हजरत चिश्ती साहब पर रखा गया है।
लेकिन पता नहीं क्यो केन्द्रीय मंत्री और भाजपा-कांगे्रस -बसपा नेताओं को अजमेर शरीफ के ख्वाजा साहब के प्रति समाजवादी पार्टी सरकार का सम्मान प्रदर्शन पसन्द नहीं आ रहा है। केन्द्रीय मंत्री को तो इसके विरोध में बोलते समय अपने पद की गरिमा एवं भाषा-संयम की भी याद नहीं रही। हज जैसी पवित्र यात्रा को चूहे बिल्ली से जोड़कर उन्होंने न केवल इस्लाम की एक पवित्र परम्परा को अपमानित किया है अपितु अपने दूषित विचारों से पूरे मुस्लिम समुदाय का भी तिरस्कार किया है। प्रधानमंत्री को अपनी केन्द्र सरकार को ऐसे मंत्री की उपस्थिति पर गौर करना चाहिए और उन्हें शिष्टाचार सिखाने के लिए किसी पाठशाला में भर्ती करा देना चाहिए।
कई दलों ने मुस्लिम नौजवानो पर से फर्जी मुकद्मे वापस लिए जाने की प्रक्रिया पर भी आपत्ति उठाई है। बसपा राज में बड़ी संख्या में मुस्लिम नौजवानों को दहशतगर्द बताकर जेलों मंे ठूंस दिया गया था। समाजवादी पार्टी सरकार ने इसकी समीक्षा कर निर्दोष लोगों की रिहाई का वायदा किया है। इस विधि सम्मत प्रक्रिया को तुष्टीकरण की नीति बताना क्षुद्र विचारधारा का पोषण करना है।
समाजवादी पार्टी ने कभी मुस्लिमों को वोट बैंक मानकर उनके साथ व्यवहार नहीं किया  है। अपने घोषणा पत्र 2012 में समाजवादी पार्टी ने जो वायदे मुस्लिमों से किए थे उसमें से अधिकांश पूरे कर दिए हैं। सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशें लागू करने की जिम्मेदारी से केन्द्र की कांगे्रस सरकार किनाराकशी कर रही है जबकि राज्य की विकास योजनाओं में मुस्लिम समाज को 18 प्रतिशत आरक्षण देने की अपनी इच्छा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने जाहिर कर दी है।
भाजपा तो सांप्रदायिकता की अमरबेल पर ही पनपती है। उसे तो मुस्लिम देशभक्त ही नहीं लगते हैं। जिन्होंने कभी मुस्लिमों की उर्दू भाषा, उनकी पूजा पद्धति और परम्पराओं का सम्मान नहीं किया वे आज समाजवादी पार्टी पर हमला कर मुस्लिमों के हमदर्द बनने की कोशिश कर रहे हैं। पर मुस्लिम समाज इससे गुमराह होने वाला नहीं है। उसे भली-भाॅति पता है कि श्री मुलायम सिंह यादव ही हर संकट के मौके पर उनके साथ खड़े रहते हैं। बाबरी मस्जिद को बचाने में उनकी भूमिका के बारे में सभी जानते हैं। अपनी सरकार को संकट में डालने का खतरा उठाकर भी उन्होंने बाबरी मस्जिद बचाई थी। आज भी वे मुस्लिमों को आरक्षण देने की माॅग के प्रबल समर्थक हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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