- कुक्कुट पालन की इकाईयों को प्रारम्भिक दस वर्षों तक उपयोग किए गए
- वास्तविक विद्युत पर विद्युत शुल्क देय नहीं होगा: आलोक रंजन
- कुक्कुट उद्योग में निवेश के लिए हैदराबाद, चण्डीगढ़, भोपाल तथ बेंगलूरू में प्रभावी रोड शो आयोजित कराकर निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए: मुख्य सचिव
- उत्तर प्रदेश कुक्कुट विकास नीति-2013 के अंतर्गत काॅमर्शियल लेयर्स फार्म एवं ब्रायलर पैरेंट फार्म की अवस्थापना होगी: आलोक रंजन
18 मई, 2013
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने कहा कि प्रदेश में काॅमर्शियल लेयर्स फार्म की अवस्थापना एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की अवस्थापना को बढ़ावा देने हेतु उत्तर प्रदेश कुक्कुट विकास नीति-2013 के अंतर्गत काॅमर्शियल लेयर्स फार्म की अवस्थापना की जाएगी, जिसके प्रथम चरण में अन्य प्रदेशों से आयात होने वाले लगभग 365 करोड़ अण्डे प्रतिवर्ष के समतुल्य अण्डे प्रदेश में ही उत्पादित करने के लिए पांच वर्षों में 123 लाख काॅमर्शियल लेयर्स पक्षियों के फार्म की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक इकाई में 30 हजार लेयर्स पक्षी रखे जाने की स्वतंत्रता होगी। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को एक या एक से अधिक इकाई स्थापित करने की छूट होगी। इकाईयों पर लाभार्थियों को बैंक से प्राप्त ऋण पर 05 वर्ष में दस प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति 40 लाख अधिकतम प्रति इकाई की दर से लाभार्थियों को अनुमन्य होगी। योजना के अंतर्गत लाभार्थी यदि इकाईयों की लागत से कम ऋण प्राप्त करता है तो प्रति इकाई लिए गए वास्तविक ऋण पर लाभार्थी को प्रतिवर्ष दस प्रतिशत ब्याज की वास्तविक ऋण की गणना करते हुए पांच वर्षों में वास्तविक ब्याज की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जो 40 लाख रु0 से अधिक नहीं होगी।
श्री रंजन ने बताया कि ब्रायलर पैरेंट फार्म की अवस्थापना के अंतर्गत प्रदेश में ब्रायलर पालन को लाभकारी एवं सुदृढ़ करते हुए ब्रायलर चूजा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से आयातित 972 लाख ब्रायलर चूजों के समतुल्य प्रदेश में ही इन्हें उत्पन्न करने के उद्देश्य से 06 लाख ब्रायलर पैरेंट फार्म की पांच वर्षों में स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि एक इकाई में 10 हजार पैरेंट ब्रायलर पक्षी रखे जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को एक या एक से अधिक इकाई स्थापित किए जाने की स्वतंत्रता होगी। इन इकाईयों पर लाभार्थी बैंक से प्राप्त ऋण पर पांच वर्ष में 10 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति 45 लाख रुपए अधिकतम प्रति इकाई की दर से लाभार्थियों को अनुमन्य होगी। उन्होंने कहा कि योजना के अंतर्गत लाभार्थी यदि इकाईयों की लागत से कम ऋण प्राप्त करता है तो प्रति इकाई लिए गए वास्तविक ऋण पर लाभार्थी को प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत ब्याज की वास्तविक ऋण की गणना करते हुए पांच वर्षों में वास्तविक ब्याज की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जो 45 लाख रु0 से अधिक नहीं होगी।
मुख्य सचिव ने बताया कि कुक्कुट उद्यमियों को योजनाओं के अंतर्गत किसी भी स्रोत से भूमि योजनाओं में उल्लिखित सीमा तक के क्रय पर प्रदेश के समस्त जनपदों में स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी, जिसके लिए बैंक गारण्टी और जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि कुक्कुट पालन की इकाईयों को प्रारम्भिक दस वर्षों तक उपयोग किए गए वास्तविक विद्युत पर विद्युत शुल्क देय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि समस्त जनपदों में स्थापित की जाने वाली कुक्कुट इकाईयों, जिनमें स्थाई पूंजी निवेश 5 करोड़ रुपए या अधिक हो, को प्रथम बिक्री की तिथि से 10 वर्ष तक उनके द्वारा जमा किए गए वैट व केन्द्रीय बिक्री कर के योग के समतुल्य अथवा वार्षिक विक्रय धन की 10 प्रतिशत धनराशि जो कम हो, ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी, जिसका भुगतान ऋण वितरण की तिथि से 07 वर्ष बाद देय होगा। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण नीति में दिए गए प्राविधान के अनुसार योजना में आवश्यक प्लांट, मशीनरी व स्पेयर पार्टस के पूंजी निवेश में 5 करोड़ रुपए या अधिक हो, उद्यमी द्वारा प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल के क्रय पर पांच वर्ष के लिए मण्डी शुल्क व विकास सेस से छूट उपलब्ध कराई जाएगी।
श्री रंजन ने कहा कि कुक्कुट उद्योग में निवेश के लिए हैदराबाद, चण्डीगढ़, भोपाल तथ बेंगलूरू में प्रभावी रोड शो आयोजित कराकर निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रोड शो के अंतर्गत स्थल के स्थानीय एवं समीप के कुक्कुट उद्यमियों की बैठक आयोजित कर राज्य सरकार की योजना के विषय में व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण उत्तर प्रदेश पोल्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड के माध्यम से कराया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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