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उत्तर प्रदेश को मनरेगा विकास हेतु धनराशि देने में कंेद्र सरकार द्वारा भेद-भाव

Posted on 18 May 2013 by admin

  • कम धनराशि में भी प्रदेश में कार्य सराहनीय
  • केंद्रीय मंत्री पुनर्विचार कर प्रदेश के हित में सकारात्मक निर्णय लें
  • उत्तर प्रदेश के लिए भी अन्य प्रदेश की भाॅति  e-FMS लागू करने हेतु वास्तविक सहयोग की अपेक्षा
  • -अरविन्द कुमार सिंह ‘गोप’

17 मई, 2013

उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरविन्द कुमार सिंह ‘गोप’ ने आज यहां बताया कि केन्द्रीय मंत्री जी द्वारा बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2012-13 में 30 प्रतिशत परिवारों को कम रोजगार उपलब्ध कराए गए हंै साथ ही सीमान्त परिवारों को मुहैया कराए गए रोजगार के श्रम दिवसों में भी गिरावट आई है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि प्रदेश में 1084 ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां कोई कार्य सृजित नहीं हुए है। जबकि कुल 52000 ग्राम पंचायतें हैं। केन्द्रीय मंत्री द्वारा यह तो माना है कि मात्र 1084 में कार्य सृजित नहीं हुए, जो मात्र 01 प्रतिशत ही है। शेष 99 प्रतिशत अर्थात 51000 ग्राम पंचायतों में कार्य होने के बारे में भी बताया गया होता तो स्थिति स्पष्ट होती और उत्तर प्रदेश में मनरेगा की प्रगति दिखाई देती। उनके द्वारा यह भी बताया गया है कि प्रदेश में 313699 ऐसे काम हैं जिन पर 04 महीनों से कोई खर्च नहीं हुआ है। इसकी समीक्षा और जांच की आवश्यकता जताई है। श्री गोप ने बताया कि केंद्र द्वारा पर्याप्त धनराशि न देने के बावजूद भी प्रदेश में मनरेगा के कार्याें में 99 प्रतिशत कार्य पूर्ण कराया गया है।
ग्राम्य विकास राज्य मंत्री ने बताया कि महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा अन्य प्रान्तों की भाॅति इस प्रदेश को धनराशि उपलब्ध नहीं करायी जा रही है, जो धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है, वह धनराशि ऊँट के मुँह में जीरा के समान है, क्योंकि विगत पांच वर्षों में कम धनराशि प्राप्त होने के पश्चात भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अच्छा कार्य किया गया है। फिर भी केन्द्र सरकार द्वारा बाधा उत्पन्न की जा रही है। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है एवं 52000 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। उत्तर प्रदेश की जनता व ग्राम प्रधान जानते हैं कि उन्हें क्या धनराशि मिली है या नहीं। यह भारत सरकार की योजना है, यदि भारत सरकार धनराशि नहीं देगी तो इस योजना की प्रगति के लिए आम जनता सोंचे कि कौन जिम्मेदार है। उत्तर प्रदेश के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। मुझे मा0 जयराम रमेश जी से यही अपेक्षा है, कि उत्तर प्रदेश की आम जनमानस की भावनाओं को देखते हुए प्रदेश के हित में व्यवस्था के अनुसार अन्य प्रान्तों यथा- आन्ध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु की भाँति उत्तर प्रदेश को भी प्रस्तावित सम्पूर्ण धनराशि उपलब्ध कराने के बारे में त्वरित विचार करें, जिससे उत्तर प्रदेश की अन्य प्रान्तों के अनुरूप मनरेगा योजना का सफलतापूर्वक संचालन कर सके। यह भी मा0 मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहॅूगा कि यह योजना भारत सरकार की है, उ0प्र0 द्वारा माॅगी जा रही सम्पूर्ण धनराशि पर केन्द्रीय मंत्री पुनर्विचार करते हुए सकारात्मक निर्णय लेते हैं तो हम उनके आभारी रहेंगे।

प्रेस के माध्यम से उपरोक्त बातों के अलावा पुनः दोहराना चाहूंगा कि मा0 मंत्री जी जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रू0 1275 करोड़ प्रथम तीन माह की माँग एवं 06 माह के लिए 1536.32 करोड़ माँग के रूप में की गयी है जो देय बनता है उसको तत्काल उपलब्ध करा दिया जाए ताकि जो स्थिति वित्तीय वर्ष 2012-13 में कोष प्रवाह में हुई कठिनाई की पुनरावृत्ति न हो और मनरेगा श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके तथा उत्तर प्रदेश में मनरेगा योजना का सफलतापूर्वक संचालन किया जा सके।
ग्राम्य विकास राज्य मंत्री ने इस सम्बन्ध में कहा कि केंद्रीय मंत्री को प्रेस के माध्यम से यह भी अवगत कराना चाहूंगा कि पिछले तीन वर्षों में वार्षिक श्रम बजट के अनुपात में 2012-13 में सबसे कम 44 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध कराई गई है यानि कि जहां वित्तीय वर्ष 2011-12 में 6668 करोड़ रू0 की धनराशि उपलब्ध कराई गई जो वार्षिक श्रम बजट का 76 प्रतिशत है वहीं वित्तीय वर्ष 2012-13 में 7003 करोड़ वार्षिक श्रम बजट की तुलना में केवल 3090 करोड़ धनराशि उपलब्ध कराई गई है, जो 44 प्रतिशत ही है। इसका परिणाम यह हुआ है कि बहुत सी ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां पर धनराशि इतनी कम उपलब्ध हो पाई है कि वहां कोई भी कार्य नहीं हो पाया। वित्तीय वर्ष 2012-13 ऐसा वर्ष रहा जहां पर शुरू कराए गए कार्य धनराशि के अभाव में पूर्ण नहीं हो पाए। पुराने वर्षों में धनराशि रहने की स्थिति में कार्य पूर्ण कराए जाने का प्रतिषत 81.3 रहा केवल वित्तीय वर्ष 2012-13 में ऐसी स्थिति रही जहाॅ धनराशि के अभाव में कराए गए कार्य पूर्ण नहीं कराए जा सके। धनराशि के अभाव का ही परिणाम रहा कि सीमान्त परिवारों को मुहैया कराए गए रोजगार के श्रम दिवसों में भी गिरावट आई। वित्तीय वर्ष 2012-13 में जो स्थिति उत्पन्न हुई उसका एक मात्र कारण धनराशि में की गई अप्रत्याशित कटौती है चूंकि यह भारत सरकार की योजना है इसलिए मा0 मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि इस तरह की स्थिति धनराशि के अभाव के कारण उत्पन्न हुई। साथ ही मा0 मंत्री जी को प्रेस के माध्यम से यह भी अवगत कराना चाहता हॅूं कि वित्तीय वर्ष 2013-14 जहां प्रारंभिक अवशेष केवल 350 करोड़ से भी कम है उसके बावजूद भी हमारे द्वारा रू0 1275 करोड़ की प्रथम तीन माह की मांग केे बावजूद केवल रू0 420 करोड़ ही उपलब्ध कराए गए जबकि आन्ध्रप्रदेश को रू0 2412.00 करोड़ तथा तमिलनाडु को रू0 1142.00 करोड़ उपलब्ध कराए गए। इसके कारण मनरेगा श्रमिकों को काम दिलाए जाने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है। साथ ही पुराने प्रशासनिक व्यय के रूप में जो अनुमन्यता थी उसका रू0 175 करोड़ की मांग की गई है जिससे कि मनरेगा कर्मियों की समस्याओं को तत्काल दूर की जा सके, परन्तु अभी भी कोई निर्णय नहीं लिया है एवं  e-FMS को लागू करने हेतु रू0 3.96 करोड़ धनराशि की मांग की गई है उस धनराशि को भी अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है परन्तु 4 अन्य प्रदेशों को अवमुक्त कर e-FMS की समस्त व्यय वहन कर चुका है। उत्तर प्रदेश के लिए भी अन्य प्रदेश की भाॅति e-FMS लागू करने हेतु वास्तविक सहयोग की अपेक्षा की जाती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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