तिरंगे के अपमान को लेकर जिस तरह से बांदा में हुए आंदोलन के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों और समाजसेवी संगठनों ने अपनी सहभागिता निभाई थी। ठीक उसी तरह से विधानसभा के सामने आयोजित धरने के दौरान देखने को मिली। यह बात जरूर है कि बांदा मुख्यालय में लगातार दस दिन तक धरना और प्रदर्शन होने के बाद भी कुलपति के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई। इंजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष बाबूलाल बाल और प्रांतीय महासचिव इसरार उल्ला सिद्दीकी का कहना है कि यह तिरंगे के अपमान का मामला है। तिरंगे की आन, बान और शान के लिए हर भारतवासी खुलकर इस आंदोलन में शामिल होगा। उनकी इस लडाई को सभी का समर्थन मिल रहा हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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