हटाये गये कर्मी भुखमरी की कगार पर
सुल्तानपुर - लगभग 22 वर्षों से अनुचित तरीके से वन विभाग से निकाले गये 33 श्रमिकों ने न्यायालय के आदेश का पालन कराने के लिए आमरण अनशन का रास्ता अख्तियार कर लिया है।
कलेक्ट्रेट में अनशन पर बैठे मालियों ने बताया कि वर्ष 1982 में सामाजिक वानिकी वन प्रभाग ने अलग-अलग नर्सरियों में माली के पद पर 33 लोगों को सेवा पर लगाया था। आरोप है कि पांच वर्ष तक नौकरी करने के बाद उन्हें बिना कोई नोटिस दिये ही उनकी सेवा समाप्त कर दी गई। मालियों ने 1992 में श्रम न्यायालय की शरण ली। मालियों का कहना है कि उन लोगों ने प्रत्येक कैलेन्डर वर्ष में 240 दिनों से अधिक दिन काम किया है। चूंकि वे लोग श्रमिक सक्रिय ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता हैं। इसलिए वेतन, बोनस आदि की मांग का लेकर सेवायोजक उनसे नाराज हो गये। श्रमिकों की दलील पर श्रम न्यायालय ने सेवा समापन को अवैध एवं अनुचित कहते हुए सभी 33 मालियों को सेवा में पुर्नयोजन का हकदार बताया। न्यायालय ने आदेश में कहा कि 18 नवंबर 02 से सेवा में नियोजित समझे जायेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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