१२ मई । जहां एक ओर जनपद में शिक्षा महकमे की संवेदन हीनता के चलते नौनिहालो का जीवन खतरे मे है ।
हैरत है कि जिले के सरकारी व निजी स्कूलो को इस भंयकर जानलेवा लू के थपेडो मे भी खोले रखकर अभिभावको से छुटिटयो वाले माह की फीस वसूली जा रही है जबकि निजी स्कूलो की वार्षिक परिक्षाएं मार्च माह में ही सम्पन्न करा ली गई थी और विद्यार्थियों को रिजल्ट भी बांट दिया गया था ।
मगर अप्रैल और मई की इस भयंकर दुपहरिया में २ बजे तक विद्यालय खोलकर नन्हे मुन्ने बच्चो का शोषण महज इसलिये किया जा रहा है कि १५ मई को पडने वाले फीस डे में ग्रीस्मावास क्लास की फीस वसूली जा सके और ज्यादा से ज्यादा बच्चो को स्कूलो में प्रवेश दिलाया जा सके ।
किसी के भी ये इल्म नही है कि ये कोमल नाजुक बच्चे लू के थपेडे को कैसे झेलेगे ? मगर इन निजी स्कूलो की व्यवसायिकता और संवेदन हीनता के चलते बच्चे लगातार बीमार होते जा रहे है मगर महाभ्रष्ट मानवताहीन शिक्षा अधिकारी मूकदर्शक बने है न तो उनका नियंत्रण कही दिखता है न कोई नियम व कानून शासनादेश ही या शिक्षा का अधिकार अधिनियम सब कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक के अंगूठे पर निजी स्कूलो की धींगा मुश्ती कमीशन खोरी और मनमानी पर आंख बंद कर सहमति प्रदान करते जा रहे है ।
सोजिये जरा मौसम का मिजाज पारा ४२ डिग्री पहुंच गया है सभी सिर मे गमछा बांधे लू का सामना कर रहे है वही निजी स्कूलो के बच्चे नगर के जाम और लू के थपेडो में २ बजे की निचंड दुपहरिया मे प्यासे हलक भूखे पेट कई कई किलो मीटर रिक्शे में बैठे घर पहुचने और मम्मी के आंचल मे छिपने को बेताब है मगर उतने ही ज्यादा मजबूर भी है कुछ कह नही सकते सब कुछ कोमल मन और नाजुक तन पर जिला प्रशासन की संवेदन हीनता सहने को मजबूर है, बेबस है, लाचार है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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