09.05.2013
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि कर्नाटक विधान सभा के चुनाव नतीजो से यह साफ हो गया है कि देश में जातीय और सांप्रदायिक ताकतों के दिन अब गिने चुने रह गए हैं। समाजवादी पार्टी की नीतियों और श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व के प्रति पूरे देश में उत्सुकता है और लोगों में इनसे जुड़ने का उत्साह पैदा हो रहा है। कर्नाटक में भले ही कांग्रेस जीत गई हो पर आगामी लोकसभा चुनावो में उसे मंहगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर जनता के सामने जवाबदेह होना पड़ेगा। जहाॅ तक बसपा का सवाल है उत्तर प्रदेश के बाद अब दूसरे प्रदेशों में भी उसको जनता से तिरस्कार मिलने लगा है और लोग जान गए हैं कि दलितों के नाम पर यह धोखाधड़ी और माफियाओं से साठगांठ करनेवाला गिरोह है, राजनीतिक दल नहीं।
समाजवादी पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चन्नापटना सीट जीतकर एक नया इतिहास रचा है। समाजवादी पार्टी प्रत्याशी श्री योगेश्वर 6464 मतों से जीते है। यहा कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। स्पष्ट है कि जनता अब राष्ट्रीय दलों के मुकाबले क्षेत्रीय दलों को ज्यादा महत्व दे रही है। दक्षिण में समाजवादी पार्टी की यह जीत भविष्य के लिए पार्टी के पक्ष में तमाम आशाएं जगाने में सफल है।
उत्तर प्रदेश से तिरस्कृत बहिष्कृत बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने कर्नाटक में भी मतदाताओं को भरमाने की भरपूर कोशिशें की थी। लेकिन वहां के मतदाताओं ने उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का अनुसरण करना बेहतर समझा। कर्नाटक के मतदाताओं ने यह भी देखा कि उत्तर प्रदेश में बसपा के 9 मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने की तैयारी में हैं। अपने शासन के पांच सालों में बसपा ने उत्तर प्रदेश में सिर्फ लूट और वसूली का तांडव किया था। बसपा के मंत्री विधायक माफियाओं से मिलकर दूसरों की जमीनों पर कब्जा करते रहे और बच्चियों, महिलाओं के साथ बलात्कार करते रहे। कर्नाटक में इसलिए बसपा का खाता भी नहीं खुला।
कर्नाटक के नतीजो से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव की यह भविष्यवाणी सफल होते दिखाई देती है कि इस बार केन्द्र में तीसरी ताकतें ही अपनी प्रभावी भूमिका निभाएगी। जातीय और सांप्रदायिक ताकतों की कलई दिन-ब-दिन खुलती जा रही है। आम आदमी की जरूरतों और मुद्दों पर ध्यान देने के बजाए कथित राष्ट्रीय दल और बसपा जैसे क्षुद्र और संकीर्ण राजनीति करनेवाले दल सिर्फ अपना स्वार्थ साधते रहे हैं और उन्होने राजनीति को सेवा क्षेत्र के बजाए व्यापार में बदलने की साजिष की है। जनता इससे ऊब गई है और अब वह तीसरी ताकत को ही दिल्ली की गद्दी में बिठाने का मन बना चुकी हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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