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प्रदेश के नायब तहसीलदार न्यायालय से लेकर राजस्व परिषद तक कुल 1688 राजस्व न्यायालयों एवं चकबन्दी न्यायालयों का कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन कराने हेतु माइलस्टोन निर्धारित कर तत्काल कार्ययोजना क्रियान्वित की जायः मुख्य सचिव मुख्य सचिव द्वारा राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली की समीक्षा

Posted on 08 May 2013 by admin

08 मई, 2013
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिये हैं कि राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली के अन्तर्गत प्रदेश के नायब तहसीलदार न्यायालय से लेकर राजस्व परिषद तक कुल 1688 राजस्व न्यायालयों एवं चकबन्दी न्यायालयों का कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन कराने हेतु माइलस्टोन निर्धारित कर तत्काल कार्ययोजना क्रियान्वित की जाय। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के मण्डल मुख्यालयों के 18 जनपदों एवं 07 अन्य जनपदों को सम्मिलित करते हुए कुल 25 जनपदों के समस्त वादों की प्रविष्टियां अंकित करा दी जाय। उन्होंने कहा कि न्यायालयों के समस्त वादों की पोर्टल में प्रविष्टियां अंकित की जाएं। उन्होंने कहा कि समस्त वादांे की प्रविष्टियों के उपरान्त समस्त पीठासीन अधिकारी अपने पोर्टल पर तत्सम्बन्ध में प्रमाणित करेंगे, जिसकी व्यवस्था साॅप्टवेयर पर बनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि समस्त वादों को कम्प्यूटरीकृत कराने हेतु निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत कार्य अवश्य पूर्ण कराया जाय।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली के सम्बन्ध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था लागू हो जाने से वादकारियांे को अपने वाद की तिथि अथवा वाद सूची को इण्टरनेट पर उपलब्ध हो जाने के कारण अनावश्यक न्यायालय आने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वाद में पारित आदेशों को इण्टरनेट पर उपलब्ध कराया जाय। भूमि से सम्बन्धित यदि अन्य किसी न्यायालय में कोई वाद लम्बित है तो उसकी भी जानकारी इण्टरनेट पर उपलब्ध करायी जाय। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के लागू हो जाने से जनसामान्य हेतु कोई भी व्यक्ति ग्राम, पक्षकारों का नाम, अधिनियम, वर्ष, नियत तिथि, वाद संख्या एवं भूमि नम्बर के आधार पर वाद की अद्यतन स्थिति प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी भूमि के विवादित होने के सम्बन्ध में जानकारी इस प्रणाली के माध्यम से भी प्राप्त की जा सकेगी।
श्री उस्मानी ने कहा कि इस प्रणाली के माध्यम से राजस्व न्यायालयों में लम्बित वादों का प्रभावी अनुश्रवण सुनिश्चित कराया जा सकेगा। उच्च प्राधिकारी द्वारा अवर न्यायालयों के वादों की स्थिति को अलोकित भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों एवं कार्मिकों हेतु वादों की महत्ता के आधार पर सुनवाई हेतु दैनिक वाद सूची में प्राथमिकता तय करने का विकल्प उपलब्ध होगा तथा न्यायालय कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करने हेतु प्रभावी नियन्त्रण होगा। इस तकनीकी के उपयोग से न्यायालय कार्मिको के श्रम-साध्य कार्यों का सरलीकरण होगा, जिससे अधिक गुणवत्ता के कार्यों पर अधिक समय व ऊर्जा का उपयोग किया जा सकेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व, श्री के0एस0 अटोरिया, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद, श्री अनिल कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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