8 मई 2013। उत्तर प्रदेश में ऊसर भूमि की समस्या के बारे में प्रथम बार महात्मा गाँधी ने अपने विचार व्यक्त किये और उसके सुधार के बारे में कदम बढ़ाया। महात्मा गाँधी का यह सपना तब साकार हुआ जब वर्ष 1990-91 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उ0प्र0 माननीय मुलायम सिंह यादव ने भूमि सेना योजना की नींव रखी और प्रदेश के 12 जिलों में 1000 हे0 क्षेत्रफल में ऊसर सुधार का कार्यक्रम चलाया। यह जानकारी दी उ0प्र0 भूमि सुधार निगम की प्रबन्ध निदेशक श्रीमती आराधना शुक्ला ने। वे आज इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर, लखनऊ में निगम द्वारा आयोजित स्टेकहोल्डर्स कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री जगदीश सोनकर, राज्य मंत्री, भूमि विकास जल संसाधन एवं परती भूमि विकास,उ0प्र0, विश्व बैंक के प्रतिनिधियों श्री अनिमेष श्रीवास्तव, टास्क टीम लीडर, डा0 पाॅल सिद्धू, कृषि विशेषज्ञ, श्री सीतारामचन्द्रन माचीराजू, विपणन विशेषज्ञ, श्री अनुपम जोशी, पर्यावरण एवं सामाजिक विशेषज्ञ, श्री आर0एस0पाठक, जल निकास विशेषज्ञ, श्री बेंजामिन ओब्रान, तकनीकी विशेषज्ञ, श्री विनय कुमार विट्टकुरू, सुश्री लैलक थामस एवं उनके दल के अन्य सदस्यों और प्रदेश के 29 जिलों से आये कृषकों का स्वागत कर रहीं थीं।
विदित हो कि उ0प्र0 भूमि सुधार निगम विश्व बैंक के सहायोग से सोडिक तृतीय परियोजना का संचालन कर रहा है। निगम द्वारा आयोजित कार्यशला में सभी भागीदारों (स्टेकहोल्डर्स) में विश्व बैंक के प्रतिनिधि, सिंचाई विभाग, पंचायती राज विभाग, कृषि विभाग, प्शुपालन, रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन सेन्टर, सीकान, वाप्कोस, बेसिक्स, गैर सरकारी संस्थायें और प्रदेश के 29 जिलों के कृषक भाग ले रहे थे। आज आयोजित स्टेकहोल्डर्स कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे, प्रदेश के भूमि विकास जल संसाधन एवं परती भूमि विकास राज्य मंत्री श्री जगदीश सोनकर। मा0 मंत्री जी के साथ-साथ श्री मनोज कुमार प्रमुख सचिव भूमि विकास जल संसाधन एवं परती भूमि विकास विभाग।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये श्री जगदीश सोनकर, राज्यमंत्री भूमि विकास विभाग जल संसाधन एवं परती भूमि विकास ने कहा कि उ0प्र0 भूमि सुधार निगम ने ऊसर भूमि के सुधार का उत्कृष्ट कार्य किया है, जिससे प्रदेश के साधनहीन गरीब किसानों को फायदा हुआ है और वे आज ऊसर भूमि से अच्छी पैदावार लेकर अग्रिम पंक्ति में बैठे हुये हैं। उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं इस परियोजना से परिचित हूँ, क्योंकि मैंने स्वयं देखा हेै कि जहाँ ऊसर क्षेत्र में पहले फसल नहीं होती थी वहाँ आज धान और गेहूँ के साथ-साथ अन्य फसलों का उत्पादन हो रहा है जो एक बड़ी सफलता है। उ0प्र0 भूमि सुधार निगम की सोडिक तृतीय परियोजना के अंतर्गत किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश में ऊसर सुधार की दिशा में उ0प्र0 भूमि सुधार निगम ने जो कार्य किया है वह एक बडी सफलता है और अन्य विभागों को भी कृषकों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए इसी तरह कार्य करना चाहिए। इस योजना के पूरा होने पर प्रदेश में ऊसर समाप्त हो जायेगा जिससे कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और प्रदेश को खाद्य सुरक्षा प्राप्त हो सकेगी। उन्होनें इस अवसर पर उ0प्र0 भूमि सुधार निगम की गृह पत्रिका के विशेषांक ’’20 वर्षो की अनवरत यात्रा’’ का विमोचन किया गया। कार्यशाला में सोडिक तृतीय परियोजना के एम0टी0आर0 मिशन में आये विश्व बैंक टीक के प्रतिनिधि ने परियोजना में कार्यरत कर्मियों, कृषकों और अधिकारियों के साथ परियोजना के लिए भविष्य की रणनीति तैयार की।
अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रबन्ध निदेशक महोदया श्रीमती आराधना शुक्ला ने उ0प्र0 भूमि सुधार निगम द्वारा विश्व बैंक के सहयोग से चलायी जा रही सोडिक तृतीय परियोजना की उपलब्धियों के बारे में अवगत कराते हुए बताया कि इस परियोजना के प्रथम एवं द्वितीय सुधार वर्ष में अब तक लगभग 470000 हे0 भूमि का सुधार किया जा चुका है, जिसमें आज धान और गेहूँ का उत्पादन हो रहा है। परियोजना के अंतर्गत अब तक लगभग 6500 बोरिंग करायी गयी है जिससे 26000 हे0 अतिरिक्त सिंचन क्षमता का विकास हुआ है जो अपने आप में एक कीर्तिमान हेै। उपचारित क्षेत्र के अधिकांश कृषक लगभग 93 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त श्रेणी के हैं जिन्हें भूमि आवंटन से प्राप्त हुयी थी वे इस परियोजना से लाभान्वित हो चुके हैं तृतीय वर्ष में सुधार के लिए 20000 हे0 ऊसर भूमि का चयन किया गया है जिसको सुधार कर इस बार खरीफ में धान की फसल ली जायेगी और इससे लगभग 45000 कृषक लाभान्वित होगें।
परियोजना क्षेत्र के कुछ कृषक अब ऊसर सुधार तकनीक का बेहतर ढंग से अपनाकर फसल उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित कर रहे है। उनके उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए आज मा0 मंत्री जी द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। कृषकों के साथ-साथ ऊसर सुधार जैसे कठिन कार्य में कुछ परियोजना कर्मियों ने अपना महत्तवपूर्ण योगदान दिया है। उनके योगदान का सम्मान करते हुये उन्हे भी सम्मानित किया गया। आगे भी हम उनसे उत्कृष्ट कार्य करने की उम्मीद करते हैं। ऊसर सुधार परियोजना के साथ-साथ बीहड़ सुधार की अग्रगामी परियोजना प्रदेश के 02 जिलों फतेहपुर एवं कानपुर देहात में चलायी जा रही है। इसमें बीहड़ क्षेत्रों के 5000 हे0 क्षेत्रफल को सुधार कर कृषि उत्पादन का कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इससे कृषकों की आय में लगभग 32000 प्रति हे0 की अतिरिक्त वृ़ि़़द्ध हुई है। बीहड़ क्षेत्रों के सुधार के लिए एक नये माडल के रूप में विकसित यह अग्रगामी परियोजना भविष्य में प्रदेश में चलायी जाने वाली बीहड़ सुधार परियोजना की रूपरेखा तय करेगी।
परियोजना के प्रमुख घटक के रूप में जल निकास व्यवस्था हेतु अब तक लगभग 350 जल निकास नालों का चयन कर 812 किमी0 जल निकास नालों का पुनरोद्धार किया गया है और उन पर पक्की संरचना बनाकर लोगों के आवागमन को सुविधाजनक बनाया गया हैे। इन जल निकास नालों से सुधारी गयी 47000 हे0 भूमि को लाभ मिलने के साथ-साथ उस क्षेत्र में आने वाली अन्य लगभग 1 लाख हे0 भूमि को भी लाभ होगा जिस पर जल भराव के कारण फसलें नहीं होती थी। परियोजना के प्रमुख घटक के रूप में कृषि सहयोगी सेवाएं, बाजार व्यवस्था स्थापित करने हेतु संस्थागत सुदृढ़ीकरण एवं क्षमता विकास को भी शामिल किया गया है जिससे उ0प्र0 में कृषि एवं पशुपालन के विकास में मदद मिलेगी। इस परियोजना से उपचारित ऊसर भूमि से 411000 मै0टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ जिसकी कीमत रू0 530 करोड़ होती है इससे कृषकों की आमदनी में वृद्धि हुई है।
कार्यशाला मंे अपने सम्बोधन मंेे प्रमुख सचिव परती भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग, उ0प्र0 श्री मनोज कुमार ने प्रदेश की अपघटित भूमि की समस्या से प्रभावित ऊसर और बीहड़ क्षेत्रों में कृषकों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि इस परियोजना ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता परक कार्यान्वयन पद्धति अपनाई है जिससे प्रदेश के कृषक लाभान्वित हुए है और भविष्य में भी यह परियोजना इससे बेहतर कार्य करेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इस परियोजना में अतिरिक्त सिंचन क्षमता का विकास हुआ है। आज प्रदेश की 71 प्रतिशत कृषि भूमि सिंचित है और उ0प्र0 का यह भाग सबसे अधिक आबादी वाला है। इस योजना ने प्रदेश की खाद्य समस्या को सुलझाने में मदद की है।
परियोजना के अनुभवों को साझा करते हुये विश्व बैंक परियोजना के टास्क टीम लीडर श्री अनिमेष श्रीवास्तव ने परियोजना में किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुये इस कठिन कार्य में परियोजना कर्मियों, कृषकों और सहयोगी संस्थाओं को एक जुटता और समन्वय के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
स्टेकहोल्डर्स कार्यशाला में मुख्य अतिथि द्वारा आज परियोजना में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषकों परियोजना प्रबन्धकों श्री नंद किशोर-कानपुर देहात, श्री शरीफ हसन खान- फतेहपुर, श्री मुकेश सिंह-फर्रूखाबाद, जिला समन्वयकों श्री अजीत सिंह-एटा, श्री सुशील कुमार-रायबरेली, श्री गोविन्द नारायण पंचाल-कानपुर देहात, प्रशिक्षण एवं मीडिया आर्गनाइजर श्री उदय सिंह-कन्नौज, श्री साहब राज पाण्डेय-आजमगढ़, श्री अनिल मिश्रा-कानपुर देहात, संस्था लेखाकार श्री सुनील दत्त-एटा, श्री चन्द्र प्रकाश-उन्नाव, श्री अजय कुमार सिंह-इलाहाबाद, बी0डी0ओ0 श्री विवेक कुमार-फर्रूखाबाद, श्री प्रभात भान-कानपुर देहात, श्री रोहित कुमार-कन्नौज, उत्पादक समूह-प्रगति दुग्ध उत्पादक समूह, सिंहपुर,अलीगढ़, भोले शंकर उत्पादक समूह नगला काजी, एटा, तुलसा उत्पादक समूह अगासण्ड लखनऊ को सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त निगम की 20 परियोजना इकाई अलीगढ़, एटा, मैनपुरी, इटावा, फर्रूखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, रायबरेली, फतेहपुर, इलाहाबाद, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ संत रविदास नगर, लखनऊ, हरदोई एवं उन्नाव से सर्वश्रेष्ठ उत्पादन लेने वाले 3 कृषक, 3 कार्यान्वयन सहायक, 2 महिला स्वयं सहायता समूह, 2 सवश्रेष्ठ बकरी पालन समूह, 2 मित्र किसान, 2 महिला मित्र किसान, 2 सर्वश्रेष्ठ परियोजना स्टाॅफ, 1 सर्वश्रेष्ठ उप प्रबन्धक, 2 सवश्रेष्ठ पुरूष मोटीवेटर, 1 सर्वश्रेष्ठ महिला मोटीवेटर को सम्मानित किया गया। इस प्रकार सभी परियोजना इकाईयों से कुल 60 कृषक, 60 कार्यान्वयन सहायक, 60 स्वयं सहायता समूह, 40 मित्र किसान, 20 महिला मित्र किसान, 40 सवश्रेष्ठ कार्य करने वाले परियोजनाकर्मी, 40 पुरूष मोटीवेटर, 20 महिला मोटीवेटर को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com