Categorized | लखनऊ.

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग पूर्णतया निपुण

Posted on 08 May 2013 by admin

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग विभिन्न प्रकार की नहर प्रणालियों के निर्माण रख-रखाव एवं संचालन का कार्य करता है जिसमें वह पूर्णतया निपुण है।
उत्तर प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था का दीर्घकालीन इतिहास है। उदाहरणतः पूर्वी यमुना नहर की स्थापना वर्ष 1823 तथा अपर गंगा नहर का निर्माण 1854 में पूरा हुआ। शारदा सहायक नहर प्रणाली का निर्माण 1928 में पूरा हुआ।
प्रदेश में 73997 किमी0 लम्बी नहर प्रणालियों एवं 29595 राजकीय नलकूपों से तथा 28 वृहद पम्प कैनाल, 245 माइनर लिफ्ट कैनाल तथा 65 बड़े जलाशयों के माध्यम से लगभग 65 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।
नहरों के अतिरिक्त प्रदेश में गंगा, यमुना, रामगंगा, शारदा, गोमती, घाघरा, राप्ती, गण्डक, सोन, केन, चम्बल, बेतवा आदि मुख्य नदियां हैं, जो लगभग 7000 किमी0 क्षेेत्र में बह रही हैं, जिस पर बड़ी संख्या में जनसंख्या निर्भर है। उत्तर प्रदेश में अनुमानित 40000 किमी0 ड्रेनेज व्यवस्था का भी एक लम्बा जाल बिछा है जिसमें अनुमानित 10 हजार किमी0 लम्बी बड़ी ड्रेन है तथा 84647 तालाब हैं। जिनमें से 6746 तालाबों का क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर से अधिक है।
उत्तर प्रदेश में नहरों की टेलों की संख्या 10522 है। प्रदेश में नहरों एवं नलकूपों से अनुमानित 126 लाख हेक्टेयर की सिंचन क्षमता का सृजन किया जा चुका है। वृहद सिंचाई नहरों द्वारा अनुमानित 86 लाख हेक्टेयर एवं मध्यम नहरों द्वारा 27 लाख हेक्टेयर तथा लघु डाल नहरों द्वारा अनुमानित एक लाख हेक्टेयर  तथा राजकीय नलकूपों द्वारा 11.7 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित की गयी है।
अभी हाल ही में श्री शिवपाल सिंह यादव, मा0 सिंचाई मंत्री ने उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग परियोजना द्वितीय चरण का गठन कराया है जिसके अन्तर्गत मुख्यतः निचली गंगा नहर एवं उससे पोषित नहर प्रणालियों का पुर्नउद्धार व बुन्देलखण्ड के तीन बाँधों की पुनसर््थापना की जानी है। इस दिशा में विभाग द्वारा तत्परता से की गई कार्यवाही तथा मा0 मंत्री जी द्वारा प्रदान किए गए नेतृत्व की विश्व बैंक द्वारा भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है तथा मा0 मंत्री जी को इस सम्बन्ध में किए गए प्रयासों हेतु अपने विचार प्रकट करने हेतु John Hopkins University, USA में आमंत्रित भी किया गया है।
सिंचाई विभाग द्वारा विभिन्न बहुउद्देशाीय परियोजनाओं जिनमें विशाल बांध, सुरंगें, विद्युत गृहों आदि का निर्माण किया गया है। सिंचाई विभाग को विभिन्न प्रकार के हाइड्राॅलिक स्ट्रक्चर जिसमें बैराज, ड्रेनेज क्राॅसिंग एवं बाढ़ सुरक्षा कार्य सम्मिलित हैं, के परिकल्पन निर्माण एवं संचालन का पूर्ण अनुभव है। इन तथ्यों के दृष्टिगत दक्षिण अफ्रीका के फ्री स्टेट प्रोविन्स के डिपार्टमेंट इकोनाॅमिक डेवलपमेंट टूरिज़्म एंड इन्वायरनमेंटल अफेअर्स के श्री मोसबेन्जी जे ज्वाने, एम0 ई0 सी0 द्वारा वहाँ के सिंचाई एवं जल संसाधन प्रणाली में सतत् सुधार एवं प्रबन्धन आदि के संबंध में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को आमंत्रित किया गया था। फ्री स्टेट प्रोविन्स ने उक्त उद्देश्य हेतु जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान स्थापित करने हेतु 500 हेक्टेअर भूमि बिना मूल्य के देना प्रस्तावित किया है।
प्रदेश के सिंचाई, लोक निर्माण, सहकारिता एवं जल संसाधन मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव एवं डिपार्टमेन्ट इकोनाॅमिक डेवलपमेन्ट टूरिज्म एण्ड इन्वायरमेन्टल अफेयर्स फ्री स्टेट प्रोविन्स दक्षिणी अफ्रीका के श्री मोसबेन्जी जे ज्वाने, एम0ई0सी0 के मध्य सिंचाई एवं जल संसाधन प्रणाली में सतत् सुधार एवं प्रबन्धन आदि के सम्बन्ध में दिनांक 02 मई, 2013 को साउथ अफ्रीका के फ्री स्टेट प्रोविन्स के सन सिटी में एक एम0ओ0आई0 पर हस्ताक्षर किया गया। इस द्विपक्षीय एम0ओ0आई0 का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण, सिंचाई प्रबन्धन एवं स्थायी आर्थिक विकास के क्षेत्र में दोनों पक्षों के मध्य एक सामान्य लाभ की भागीदारी को विकसित करना है। इस एम0ओ0आई0 में सहयोग हेतु प्राथमिकता के क्षेत्र की रुपरेखा निम्न प्रकार है-
ऽ    इस द्विपक्षीय ज्ञापन का आशय पर्यावरण एवं सिंचाई प्रबन्ध एवं आर्थिक विकास के क्षेत्र में साझेदारों के आपसी हितोेें को विकसित करना एवं प्राथमिकता के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
ऽ    वैश्विक पर्यावरण एवं सिंचाई तकनीक के सम्बन्ध में बात-चीत, विचार-विमर्श एवं सम्मेलन आदि को प्रोत्साहित करना।
ऽ    सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र मेें प्रोन्नति एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकी विकसित करने हेतु संयुक्त रूप से अनुसंधान एवं प्रोजेक्ट्स तैयार करना, सेमिनार एवं वर्कशाप आदि आयोजित कर आपसी ज्ञान को साझा करना।
ऽ    संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों के प्रासंगिक बिन्दुओं पर आपसी सहयोग को मजबूत करना एवं बात-चीत तथा अन्य उचित माध्यमों से भूमि के डीग्रेड होने, बंजर होने आदि के सम्बन्ध में आपसी सहयोग करना।
ऽ    सूचनाओं एवं विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से कृषि के सम्बन्ध में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों के प्रासंगिक बिन्दुओं पर सिंचाई प्रबन्धन के क्षेत्र मेें आपसी सहयोग को बढावा देना।
ऽ    प्रासंगिक क्षेत्रों में बहुहित धारकों के बीच साझेदारी को बढावा देने के लिए विभिन्न सरकारों, उद्योगों शैक्षिक एवं शोध संस्थाओं के बीच बात-चीत/ चर्चा हेतु सुविधा उपलब्ध कराना।
ऽ    भारत एवं दक्षिण अफ्रीका की प्रतिष्ठित संस्थाओं में अल्पावधि के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों एवं अध्ययन यात्राओं के माध्यम से सूचना एवं ज्ञान तकनीक, तकनीकी दक्षता एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढावा देना।
ऽ    आपसी सहमति से अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना।

सिंचाई विभाग द्वारा भी सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विकास हेतु दक्षिण अफ्रीका का सहयोग प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in