मई 06, 2013
उत्तर प्रदेश के कृषक गेहूॅ को थ्रेसिंग कर, सुखाकर अतिशीघ्र भण्डारण करें क्योंकि यह मौसम गेहूॅ के भण्डारण के लिए उपयुक्त है। गेहूॅ के सुरक्षित भण्डारण के लिए बखारी, कोठिलों या कमरों को साफ कर मैलाथियान 50 प्रतिशत के घोल को तीन लीटर प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से, दीवारों एवं फर्श पर छिड़काव कर, भण्डारण करें। बखारी के ढक्कन पर पोलीथिन लगाकर मिट्टी का लेप करें, जिससे वह वायुरोथी हो जायें।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) में फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की बैठक में दी गई सलाह के अनुसार, किसान गेहॅू को अच्छी तरह सुखाने के उपरान्त दाॅत से दबाने पर कट की अवाज आये, तभी भण्डारण करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि फसल अवशेष को कदापि न जलायें, बल्कि इसे खेतों में सड़ाकर मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ायें। उन्होंने बताया कि गेहूॅ के अवशेषों को सड़ाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर 5 टन प्रति हे0 की दर से गोबर की खाद डालें। गोबर की खाद उपलब्ध न हो तो 20 किग्रो0 प्रति हे0 अतिरिक्त नत्रजन अथवा 2.5 किग्रा0 ट्राइकोडरमा बिरडी को मिट्टी या बालू मिलाकर जुताई से पूर्व खेती में डालकर मिला दें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com