२९ अप्रैल । जनपद मे भू माफिया सरकारी जमीनो पर पुलिस को मिलाकर कब्जा करते जा रहे है हालात ये है कि कानून व्यवस्था को भी ये भूमाफिया अपने रसूख और पैसे से रौदने मे भी संकोच नही कर रहे है ।
गौरतलब हो कि सुलतानपुर मे आधा शहर ही नजूल पर बसा है और जो जमीने अभी तक कानून व्यवस्था के भय के कारण सुरक्षित भी थी वो अब भ्रष्टाचारियों के चलते भूमाफियाओ की निगाहो पर चढ चुकी है हालत यह है कि दाखिल खारिज हो या न हो रजिष्ट्री हो या न हो लोग बेहिचक सरकारी बाबुओं और राजस्व कर्रि्मयों की मिली भगत से कब्जा करते जा रहे है और तो और अवैध निर्माण भी धडल्ले से हो रहा है ।
पूरे नगरीय क्षेत्र में कही न रुरुल विल्डिंग एक्ट प्रभावी रह गया है न ही नजूल नीति जब से अदालत ने नजूल जमीनो की प्रहृी होल्ड पर रोक लगाई है तब से नजूल लिपिक और राजस्व कर्मियों की बल्ले बल्ले हो गई है वही अब जनपद मे स्तरहीन अधिकारियों का जमावडा लग गया है जो कि खुलेआम अपने बंगलो पर दलालो, लेखपालो, भूमाफियों का जमावडा लगाकर अपनी व संविधान की धज्जियां रुपयो की खातिर उडा रहे है ।
अभी बीती शाम ऐसा ही एक वाकया पांचो पीरन की गांटा संख्या १०६५ जो कि कर्बला की जमीन है जो ४५ बिस्वा है लगभग है जिस पर दो स्थानीय बाहुबलियों की रायफले तन गई हवाई फायरिंग भी हुई एक पक्ष खाते की जमीन को बचाने की गरज से मौके पर पहुंचा तो दूसरा पक्ष कर्बला की जमीन को ही समतल कराने में जुटा था वो यू.पी. के टापमोस्ट बाहुबली को अपना सरपरस्त बताकर कब्जा करना चाहता था मगर दोनो पक्षो मे असलहे तन गये और पहले से ही हमराह पुलिस को मजबूरी मे आना पडा और फिर वही किया पुलिस ने जो उसे करना था ।
चूंकि एक पक्ष पूर्ववर्ती बसपा सांसद का था इसलिए सपा सरकार को वाहवाही भी मिल सकती थी इस कारण सांसद समेत आधा दर्जन के खिलाफ वेहद मामुली धाराओ मे मामला दर्ज कर इतिश्री कर ली और लाईसेंसी असलहे भी जमा कर लिये जबकि दूसरे पक्ष के पास भी दर्जनो प्रतिवंधित सहलहे थे मगर पुलिस ने उस पक्ष से पूरी हमदर्दी दिखाई चूंकि पूर्व से ही सेंटिंग थी सो एक तरफा कार्यवाही कर नगर मे गैंगवार की जमीन स्वयं पुलिस तैयार करने मे लगी है ।
अब पुलिस को भी जमीनो की कब्जेदारी मे एक मुस्त मोटी रकम दिखने लगी है यही कारण है कि नियति प्राधिकारी की नोटिसो के मिलत ही पुलिस की दुकानदारी बढ जाती है । कौन कहे अवैध निर्माण व कब्जेदारी रोकने को यहां तो स्टेप व स्टेप धंधा चालू है वर मरै या कन्या पुलिस को अपनी हिस्सेदारी से मतलब के ढर्रे पर चल रही पुलिस ऐसे में अखिलेश यादव की पार्टी २०१४ मे जीते या हारे सपा का नाम हो या बदनामी पुलिस की बला से । वैसे भी आलाधिकारी उहृपर के आर्शीवाद से आये है उसका भी हिसाब पूरा करना है । मूर्ख तो जनता है जो नेताओं से उम्मीद लगाये बैठी है कि शिवपाल जी या अखिलेश जी सब कुछ ठीक करेगें । जनता नही जानती कि जिले के बडे अधिकारी उनके दौरे में माननीयो के सबसे खाश दिख रहे थे पार्टी कार्यकर्ता व विधायक तो पीछे थे खुद जनता सोचे समझे और देखे कि क्या हो रहा है और समय का इन्तजार करे ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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