भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के टी. ई. टी. अभ्यर्थियों के साथ हो रहे अन्याय तथा प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को मजाक बनाये जाने पर गहरी आपत्ति जताई है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 मनोज मिश्र ने अपने एक बयान में कहा कि प्रदेश की प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक अराजकता तथा दिशा हीनता की शिकार है। प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण एक तरफ शिक्षक तो दूसरी तरफ छात्र सरकारी और गैरसरकारी उत्पीड़न के शिकार है। डाॅ0 मिश्र ने सपा सरकार को याद दिलाया कि पिछली टी. ई. टी. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने 40-50 जिलों में आवेदन किया था। प्रत्येक आवेदन के साथ रू0 500/- का ड्राफ्ट लिया गया था। इस प्रकार प्रदेश के लाखों बेरोजगारों से लगभग रू0 20,000 से 30,000 के बीच प्रति फार्म फीस जमा की थी जबकि उनका चयन मात्र एक जिले में होना था। सपा सरकार ने उक्त रू0 500/- की दर के हिसाब से अन्य जगहों के फार्माें की धनराशि वापस करने का आश्वासन दिया था। डाॅ0 मिश्र ने सपा सरकार से प्रति छात्र हजारांे रूपयों की धनराशि तत्काल वापस करने कर मांग की। उन्होंनें कहा कि बेरोजगार अभ्यर्थियों का आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है। बेरोजगार छात्रों के लिए हजारांे रूपये का इंतजाम करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अभ्यर्थियों को उक्त धनराशि ब्याज सहित वापस करनी चाहिए। इसके साथ प्रदेश प्रवक्ता ने सरकार से आग्रह किया कि इस बार टी. ई. टी. अभ्यर्थियों को बगैर फीस लिए आवेदन करने का मौका मिलना चाहिए।
प्रवक्ता डाॅ0 मिश्र ने प्रदेश की प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक शिक्षा व्यवस्था को अराजकता का शिकार बताया है। निजी स्कूलों में बढ़ी फीस तो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता हीनता प्रदेश के नौनिहालों के भविष्य के सामने चुनौती प्रस्तुत कर रहे है। प्राइमरी शिक्षकों को महीनों वेतन नहीं मिलता उस पर सरकार की सभी तथाकथित योजनाओें का काम करना पड़ता है। जानवरों को गिनने से लेकर आदमियों के गिनने तक तथा चुनाव में ड्यूटी सहित वे काम उन्हें करने पड़ रहे है। जिनका पढ़ाई से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। डाॅ0 मिश्र ने प्रदेश के भविष्य के हित में प्राइमरी शिक्षकों को गैर शिक्षणीय कार्यों से मुक्ति देने की मांग सपा सरकार से की है।
डाॅ0 मिश्र ने माध्यमिक, उच्च तथा तकनीकी शिक्षा के पिछड़ने की जिम्मेदारी पहले बसपा और अब सपा सरकार पर डाली है। माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों द्वारा मूल्याकंन बहिष्कार को उन्होेंनें सरकार की उदासीनता बताया है। पूरे प्रदेश में माध्यमिक बोर्ड परीक्षाएं अफरा-तफरी तथा अराजकता के बीच सम्पन्न हुई उस पर शिक्षकों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्याकंन का बहिष्कार प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सरकार की उदासीनता का उदाहरण है।
डाॅ0 मिश्र ने पिछली बार उत्तीर्ण टी. ई. टी. अभ्यर्थियों की धनराशि शीघ्र अतिशीघ्र उन्हें वापस करने की मांग की है। माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाओं के मूल्याकंन के बहिष्कार को जल्द से जल्द निपटाने की मांग भी उन्होंनें सरकार से की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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