इडियन जस्टिस पार्टी के प्रदेश महासचिव इसरार उल्ला सिद्दीकी ने कहा कि सपा, बसपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव व मायावती को आरक्षण के नाम पर दलितों व पिछड़ों को आपस में लड़ाने की कुटिल नीति अब चलने वाली नहीं है। दोनों ही पार्टियों के पिछड़े वर्ग की 17 जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव को संवैधानिक बाध्यता के चलते केन्द्र सरकार स्वीकार नहीं कर सकती। ऐसे प्रस्ताव भेज कर अति पिछड़ों ंको चुनावी रणनीति के तहत अपने-अपने पाले में खीचने के लिए गुमराह करने का काम किया जा रहा है। पिछड़े वर्ग के हित में कार्य कर रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को बसपा सुप्रीमों ने ही कांग्रेस पार्टी पर दबाव बना कर उन्हें जेल में डलवा दिया था। श्री सिद्दीकी ने कहा कि इंजपा 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का विरोध नहीं करती है लेकिन पार्टी चाहती है कि अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण में आबादी के हिसाब से अनुसूचित जाति में शामिल किया जाये। उन्होंने कहा कि आबादी के अनुपात के आधार पर पिछड़ो को 54 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। अति पिछड़ो को 48 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सुनिश्चित होना चाहिए। पिछड़ा वर्ग में केवल 6 प्रतिशत पिछड़ी जाति के लोग हैं। श्री सिद्दीकी ने कहा कि बसपा व सपा दोनों ही अति पिछड़ों एवं पिछड़ी जाति के मुसलमानों के साथ धोखा करते चले आ रहे हैं। क्योंकि मंडल कमीशन में स्पष्ट व्यवस्था दी गयी है कि यदि राज्य सरकारें चाहें तो विधान सभा में प्रस्ताव पास कर 27 प्रतिशत आरक्षण में 8.7 प्रतिशत कटौती करके पिछड़ी जाति के मुसलमानों को आरक्षण दे सकती है। लेकिन बसपा चार-बार प्रदेश में सत्ता में रही और सपा के मुखिया तीन बार प्रदेश की बागडोर संभाल चुके हैं और वर्तमान में उनके पुत्र अखिलेश यादव मुख्य मंत्री हैं। वह पहले 8.7 प्रतिशत का आरक्षण पिछड़ी जाति के मुसलमानों को दें। फिर उन्हें 18 प्रतिशत आरक्षण देने की बात करना चाहिए। सपा ने चुनावी वादे के मुताबिक मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था। उस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़े। श्री सिद्दीकी ने कहा कि केन्द्र सरकार को केवल पत्र लिखने से मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलने वाला है। उसे विधानसभा में प्रस्ताव लाकर पास कराना चाहिए। यदि सपा मुसलमानों का हिमायती होने का दम भरती है तो सबसे पहले सपा पार्टी व मंत्रि मंडल के मुसलमानों को आबादी के हिसाब से आरक्षण देकर पद दे। केवल घोषणायें कर मुसलमानों को गुमराह न करें। उन्होंने कहा दलितों अति पिछड़ो एवं अल्पसंख्यकों को सम्मान दिलाने तथा उनकी सामाजिक व आर्थिक उन्नति की लड़ाई लड़ने के लिए आगामी लोक सभा चुनाव में सपा, बसपा, भाजपा व कांग्रेस को सबक सिखने के लिए एक महागठबंधन को अमली जामा पहनाया जा रहा है। इसमें शामिल है पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की अगुवाई में जन अधिकार मंच, कौमी एकता दल, भारतीय समाज पार्टी, बुन्देलखण्ड कांग्रेस पार्टी, उलेमा कौंसिल मुस्लिम मजलिस आदि दल। इस मोर्चे ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को गाजीपुर से लोक सभा का चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। बताते चले कि पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के तूफानी चुनावी दौरे ने कुशवाहा विरादरी में स्वाभिमान जगाने का काम करते हुए बसपा की मुखिया मायावती को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी। महागठबंधन की बागडोर पूर्व मंत्री कुशवाहा के हाथ रहेगी। श्री सिद्दीकी ने कहा कि बसपा व सपा की छदम नैतिकता है कि ये दोनों पााटियां कांग्रेस पार्टी को केन्द्र में समर्थन दे रही है वहीं जनता व मीडिया में उनके खिलाफ बोलती है। श्री सिद्दीकी ने कहा कि मुलायम व माया के घोटालों पर सीबीआई को तलवार लटका कर कांग्रेस पार्टी सपा, बसपा को ब्लैकमेल करने का काम खूले आम कर रही है। श्री सिद्दीकी ने कहा कि अतिपिछड़ो के नेता पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने बसपा में रहते हुए अति पिछड़ो को अधिकार व सम्मान देने के लिए को आपरेटिव बैंको, जिला पंचायतों व निगमों आदि में चेयरमैन बनाने का कार्य करना प्रारम्भ किया तो इस वर्ग का नेतृत्व समाप्त करने के लिए बसपा सुप्रीमों मायावती ने कांग्रेस पार्टी से मिल कर उन्हें जेल भिजवा दिया। लेकिन ऐसे दलों को सबक सिखाने के लिए डसना जेल से ही पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के संदेश गांव-गांव पहुंच रहे है। श्री सिद्दीकी ने कहा कि श्री कुशवाहा की अगुवाई में महागठबंधन लोकसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़कर सपा, बसपा भाजपा व कांग्रेस को सबक सिखाने का काम करेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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