स्तम्भकार और वरिष्ठ भाजपा नेता हृदयनारायण दीक्षित के जीवन, व्यक्तित्व व पत्रकारिता पर झारखण्ड रांची के साईंनाथ विश्वविद्यालय ने रायबरेली निवासी पत्रकार अनुभव अवस्थी को पी0एच0डी0 की उपाधि दी है। डाॅ0 अवस्थी ने यह शोध कार्य तीन वर्ष में पूरा किया है। इसमें पत्रकारिता के उद्भव, भारतेन्दु युग आदि का विवेचन है और श्री दीक्षित की सांस्कृतिक पत्रकारिता की पड़ताल है।
विशालकाय शोध प्रबंध में क व्यस्त राजनेता श्री दीक्षित के पांच हजार आलेख छपने, दो दर्जन से ज्यादा शोध ग्रन्थ लिखने की पड़ताल की गयी है। राज्य के वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व में संभवतः दीक्षित के जीवन और पत्रकारिता पर ही किसी विश्वविद्यालय ने पी0एस0डी0 दी है। शोध में दीक्षित के अंतरंग साक्षात्कार हैं। अंतरंग साक्षात्कारों में श्री दीक्षित ने राजनैतिक दलतंत्र का भविष्य अंधकारपूर्ण बताया है। उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन के विरूद्ध भी बेबाक टिप्पणियां की हैं लेकिन पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल बताया है। उनका एक वक्तव्य उल्लेखनीय है, “पत्रकारिता को आधुनिक या प्राचीन के खेमे भी नहीं बांटना चाहिए। आधुनिक पत्रकारिता, पुरानी पत्रकारिता का ही विकास है। इसी के कारण भारत में जनतंत्र है। वरना दलतंत्र जनतंत्र को नष्ट कर देता।”
पी0एच0डी0 से उत्साहित पत्रकार डाॅ0 अनुभव ने इसकी प्रेरणा के लिए हिन्दी विद्वान डाॅ0 सूर्य प्रकाश दीक्षित, डाॅ0 रामनरेश, पत्रकार प्रशान्त मिश्र, राजीव सचान, अशोक पाण्डेय, सद्गुरू शरण व नदीम आदि को धन्यवाद दिया है।
श्री दीक्षित पर हुई पी0एच0डी0 का स्वागत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री विनोद पाण्डेय, विधान परिषद सदस्य डाॅ0 महेन्द्र सिंह, दयाशंकर सिंह, उ0प्र0 बार कौंसिल के सदस्य अखिलेश अवस्थी, बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष दिलीप श्रीवास्तव एडवोकेट, विद्यांत डिग्री कालेज के राजनीति विज्ञान के प्रमुख डाॅ0 दिलीप अग्निहोत्री, संस्कृत विद्वान डाॅ0 विजय कर्ण ने कहा कि दीक्षित ने भारतीय पत्रकारिता में संस्कृति के महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष वेद विद्वान डाॅ0 ओम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि दीक्षित पहले पत्रकार है, जिन्होंने वेदों को पत्रकारिता में भारी जगह दिलवाई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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